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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्धिपत्र, पत्रांक. लींटी. अशुद्धिः शुद्धिः | पत्रांक. लींटी. अशुद्धि. शुद्धि. ४ १० तत्प्राप्यं तत्माप्य १२ १८ रज रज्जारेवे ३१ २२ वतती बनती। १३ विरोधा विरोधी ३८ १३ सा सः १४ ६ भववि भवति आगे सर्वत्र समाधि स्त्रीलिं ६ लोभदि लोभादि गको पुलिंग जानो. १५९ है दो येदो ५० १८ प्रवृय प्रवृत्त्य ३४४ स्वस्य त्वस्य ५३ १९ जाविश्व जोविश्व ८ व्यामा व्योमा ९ वृया वृत्त्या १३ खंडिति खंडित १७ पति पतिने ९ जाग्रतमे प्रतिस्वममे १९ भाक्तेति भोक्तेति ८ गतानक गतानेक १३ पदार्थ पदार्था १४ वर्णा वर्णो ९ विषय विषयो द्व विज्ञानकांडकी शुद्धी. १० संबंधवान् संबं. ६ रनेनाहो रनेनाधवंतो धितेनाहो २० दिवेका दिकांके २ मध्व मध्य २१ संसार संसारकी १५ रऽस्य रेऽस्य ८८ १४ कांक्षी कांक्षा ५ १८ उलूल उलूक ९२ २२ ष्यति ष्यसि १७ अज्ञान अज्ञानी ९४ . १३ तेषुरु तेष्वेक ६ आशा आज्ञा अनिर्वचनीय कांडस्य शुद्धः १० ज्ञानाज्ञन ज्ञानाज्ञाना ९ १३ सूपहै रूपहै १७ भागी भोगी १० १ तत्वत्वा त्वत्वाक्य १२ इसका खंडन कर्ते १० १८ शर्ति शक्ति है अर्थात् ११ ७ अगकर अंगीकार । ६८ १४ रकजीव रेकनी EEEEEEEEEEEEEEEEFENCE REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE * * * * * For Private and Personal Use Only
SR No.020885
Book TitleVedant Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVigyananand Pandit
PublisherSarasvati Chapkhanu
Publication Year1837
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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