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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाषाटीकासमेत। प्रपद्यते ॥२६॥ चाण्डालैः सह यस्तैलं स्वप्ने पिबति पूरुषः॥ प्रमेहव्याधिना युक्तो मरणं स प्रपद्यते ॥ २७ ॥ कृशरां भक्षयति यः क्षयरोगी स जायते ॥ नारीस्तनपयःपायी पुनर्जन्म लभेत च ॥२८॥ अतितप्तं च पानीयं गोमयेन युतं पिबेत् ॥ कटुतैलं चौषधेनातीसारेण विपद्यते ॥२९॥ जतुकुकमसिन्दूरधातुपातो गृहोपरि ॥ आकाशायस्य भवति तद्हं दह्यतेऽग्निना॥३०॥ तालकीचकखजूररोहिताख्यद्रुमाङ्कुरः ।। कण्टकैश्च परीतः सन्रोहेत्स म्रियते खलु॥३१॥दर्भास्तृणानि गुल्माश्च वामलूरास्तथैव च।उत्पद्यन्ते यस्य देहे व्याधिभिःस नियेत वै ॥३२॥ श्यामं हयं समारूढः श्यामद्रव्यानुलेपनः।। श्यामं पटं परिवसेत्स्वप्ने यस्तस्य संक्षयः ॥३३॥ अशोकं किंशुकंपारिभद्रवृक्षं च यो नरः।।स्वप्नमध्ये समारोहेदाधिभिः संयुतो भवेत्॥३४॥वराहपृष्ठमासीनानारी यं परिकृष्यति।सा रात्रिश्चरमा तस्य वनवास्यथवा भवेत् ॥३६॥ यः पुना रथ मारूढः प्रेतसर्पसमायुतम् ॥ पुरी संयमिनी गच्छेत्सोऽचिराकरताहै, वह कठोर व्याधियोंसे युक्त मरणको प्राप्त होताहे ॥ २६ ॥ जो पुरुष चाण्डालके साथ तेलको स्वप्नमें पीताहै वह प्रमेहकी ब्याधिसे मरणको प्राप्त होताहै ॥ २७ ॥ जो कृशरा खातहि वह क्षयरोगी होताहै स्त्रीके स्तनसे दूध पीनेवाला पुनर्जन्मको पाताहै ॥ २८ ॥ अत्य. न्त गरम गोमयसे (गोवर ) युक्त पानीको जो पिये अथवा दवाईके साथ कडुवा तेल पिये उसको अतिसार रोग होताहै ॥ २९ ॥ लाख, कुंकुम, सिंदूर धातुपात जिसघरके ऊपर आकाशसे होताहै वह घर अग्निसे जलताहै ॥ ३० ॥ ताल कीचकवृक्ष बांस खजूर रोहितवृक्ष अंकुआ इनके ऊपर कांटोंसे लगाहुआ चढे वह निश्चय मरताहै ॥ ३१ ॥ कुश तृण ढूँठ बमई जिसके शरीरमें उत्पन्न होतेहैं वह ब्याधियोंसे निश्चय मरताहै ॥ ३२ ॥ जो स्वप्नमें श्याम घोडपर चढा हुआ श्याम द्रव्योंका लेप करे श्याम वस्त्रको धारण करे उस पुरुषका नाश होय ॥ ३३ ॥ अशोकके वृक्षपर टेसूके उपर नीमके ऊपर जो पुरुष स्वप्नमें चढे वह पुरुष मनको व्यथासे संयुक्त होय ॥ ३४ ॥ असुरकी पीठपर बैठीहुई स्त्री जिसको खींचतीहै, वह रात्रि उसकी पिछलीहै अथवा वह बनवासी होताहै ।। ३५ ॥ जो पुरुष प्रेत औरं सर्पसे युक्त स्थपर चढकर यमपुरीको For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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