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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४६८) वसंतराजशाकुने-अष्टादशो वर्गः । पुनःपुनर्दक्षिणमूरुभागं लिहन्दिनैः पंचभिराह मृत्युम् ॥ यमक्षयं तत्क्षणमेव यक्षः क्षिपत्यवश्यं जठरावलेहात् ।। ॥ १५३॥ अवामभागेन यदा वलित्वा श्वा पृष्टकंडूतिमपाकरोति ॥ तदह्नि तत्रैव कृतांतगेहं रोगाभिभूतो नियतं प्रयाति ॥ १५४ ॥ पुच्छोरसोर्लेहनसिंहनाभ्यां प्रवर्तिताभ्यां सरमासुतेन ॥ क्रमादिनानां त्रितयद्वयाभ्यां भवेदुवं रोगवतोऽवसानम् ॥ १५ ॥ पृष्ठे निमित्तेऽलसचित्तवृत्तिः संकुच्य गात्राण्यखिलानि शेते ॥ कौलेयकश्चेत्तदुपैति रोगी परेतनाथावसथं क्षणेन ॥ १५६॥ .. ॥ टीका ॥ सिकामालिहन्दशभिर्दिनैः अंतकृन्नाशकृत्स्यात् ॥१५२॥पुनरिति ॥ यक्षः पुनःपुनः दक्षिणमूरुभाग लिहन्पंचभिर्दिनैःमृत्युमाहाजठरावलेहात्तत्क्षणमेव यक्षाअवश्यं यमक्षयं यमगृहं क्षिपति प्रवेशयति। “संस्थानमुटजं धाम निवेश शरणं क्षयः"इत्यमरः।। ॥१५३॥ अवामेति ॥ श्वा कौलेयकश्चेदवामभागेन दक्षिणप्रदेशेन वलित्वा वक्री भूय पृष्ठकंडूति खर्जुमपाकरोति दूरी करोति । तदा तत्रैव तदहि रोगाभिभूतः कृ. तांतगेहं नियंतं प्रयाति ॥ १५४ ॥ पुच्छति ॥ सरमासुतेन पुच्छोरसोः पुच्छं लोगूलमुरःहृदयस्थानमनयोदः तयोलेहनसिंहनाभ्यां प्रवर्तिताभ्यां सद्भया क्रमादिनानां त्रितयद्याभ्यां ध्रुवं निश्चयेन रोगवतोऽवसानं नाशो भवेत् ॥ १५५ ॥ पृष्ठे इति ॥ निमित्ते पृष्ठे सति चेत्कौलेयकः अखिलानि गात्राणि संकुच्य अलस ॥ भाषा॥ मृत्यु होय फिर नासिकाकू चाटे तो दश दिनकर रोगीको नाश करे ॥ १५२ ॥ पुनरिति ॥ श्वान वारंयार दक्षिण ऊरू भागकू चाटे तो पांच दिनमें मृत्यु जाननो. जो उदरकं चाटै तो तत्क्षणही श्वान अवश्य यमलोककू प्राप्त करै ॥ १५३ ॥ अवामति ।। जो श्वान जेमने भागमें टेढो होय करके पीठकी खुजलीकू दूर करै तो रोगीकू वाईसमय अथवा चा दिनही निश्चय मृत्यु करै ॥ १५४ ॥ पुच्छेति ॥ श्वान पूंछ और हृदयस्थान इनकू चाटै वा संधै तो तीन दिन वा दोय दिनमें निश्चयकर रोगवान् पुरुषकं नाश वा मृत्यु करै ।। १५५ ।। पृष्ठे इति ॥ कोई आय करके प्रश्न करै वा समयमें जो श्वान सबले मंगन• संकोच करके आलस्य युक्त होय सोतो होय वा सोयजाय तो रोगी क्षणमात्रमें For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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