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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३००) वसंतराजशाकुने-द्वादशी वर्गः। इष्टार्थदोऽश्वादिषु वाहनेषु छत्रादिसंस्थस्तदवाप्तिकारी॥ वध्वागमंजल्पति तोरणादौ हृद्यार्थदो हृद्यतरुस्थितश्च।।१२५॥ वायसः कुलुकुलुध्वनिर्यदा व्याहरेद्भवनसम्मुखस्तदा ॥ अभ्युपैति पथिकस्तदा ध्वनि सर्वकार्यमुखदं वदंत्यमुम् ॥ ।। १२६ ॥ इदं त्विहोत्पातयुगं पृथिव्यां महाभयं शाकनिका वदति ॥ यद्वायसो मैथुनसंनिविष्टो दृश्येत यदा धवल: कदाचित् ॥ १२७॥ उद्वेगविद्वेषभयप्रवासबन्धुक्षयल्याधिधनापहाराः । बुद्धिप्रणाशाः कुलतापवादा नृणां भवंत्यद्भुतदर्शनेन॥ १२८॥ ॥ टीका ॥ भीष्टफलदः स्यात् मन्त्रादिसिद्ध्यै वणिजादिलाभे विवाहादिविधौ चासौ काकः शस्तः॥१२४॥इष्टार्थद इति ॥ अश्वादिकवाहनेषु स्थितः सन्निष्टार्थदः तथा छत्रादिसंस्थस्तदवाप्तिहेतुर्भवति तोरणादौ वध्वागमं जल्पति हृद्यतरुस्थितः प्रियकारकः यः तरुः तस्मिंश्च हृद्यार्थदः ॥ १२५ ॥ वायस इति ॥ यदा भवनसम्मुखं वायसः कुलुकुलध्वनि व्याहरेत्तदा पथिकोऽभ्युपैति अमु ध्वनि सर्वकार्यमुखदं वदंति ॥ ।। १२६ ॥ इदमिति ॥ इहास्मॅिल्लोके उत्पातद्वयं उत्पातद्वयं महाभयं शाकुनिका वदंति यत् वायसो मैथुनसंनिविष्टो दृश्येत यदा कदाचिद्धवलो दृश्येत तदित्यर्थः ॥ १२७ ॥ उद्देगेति ॥ अद्भतदर्शनेन उद्वेगविद्वेषभयप्रवासबन्धुक्षयव्याधि ॥भाषा ॥ और मंत्रादिक सिद्धिनमें वणिजादिकनके लाभमें विवाहादिकविधिमें काक शस्त नाम शुभ है ।। १२४ ॥ इष्टार्थ इति ॥ अश्वादिक वाहन स्थितकाक इष्ट अर्थको देबेवारो और छत्रादिकनमें स्थित होय तो छत्रादिकनकी प्राप्ति करै, और तोरणादिकनपै बेटे तो स्त्रीको आगम कहै. बहुत सुन्दर वृक्षपै बैठो होय तो मनोरथकू देवे ॥ १२५ ।। वायस इति ॥ जो घरके सम्मुख काक कुलुकुलु ध्वनि करै तो कोई मार्गको चल्यो आवे. और ये ध्वनि सर्व कार्य और सुखकू देवे ।। १२६ ॥ इदमिति ॥ या लोकमें दोय उत्पात हैं सो शकुनी पृ. वीमें या महाभयवान् कहै हैं. कोनसे उत्पात; जो काक मैथुनकरतो दीखे वा श्वेत काक दखे तो ॥ १२७ ॥ उद्वेगेति ॥ उद्वेग, विद्वेष, भय, प्रवास नाम परदेश, बन्धुक्षय, व्याधि, और धनको चौर करके हरण, और बुद्धिको नाश, कुलको ताप और विवाद ये सब For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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