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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९०) वसंतराजशाकुने-द्वादशो वर्गः। सद्यो ज्वरं सौरभपृष्ठसंस्थो मृतांगसंस्थो मरणं करोति ॥ कार्यक्षति रिक्तघटाश्मसंस्थः काकः कलि काष्ठमाधिष्ठितश्च ॥ ८८॥ यो दक्षिणं कूजति दक्षिणेन प्रयाति यश्चाभिमुखोऽभ्युपैति ॥ प्रयाति पृष्ठे प्रतिलोमगत्या कृतारवः पातयते स रक्तम् ॥ ८९ ॥ वामो खो दक्षिणतस्ततः स्यादनर्थहेतुबंलिभोजनस्य ॥ वामप्रदेशे प्रतिलोमयानं विनाय लाभो गृह एव तेन ॥ ९० ॥ प्रयाति पृष्ठे यदि दक्षिणेन कृतारवस्तद्रुधिरश्रतिः स्यात् ॥ वल्लीवरत्रादि च यो गृहात्वा प्रदक्षिणं याति स सर्पभीत्यै ॥ ९१ ॥ ॥ टीका ॥ क्षेमं विधत्ते खरस्य पृष्ठे स्थितः अरिभयं बंधं च करोति कोडस्य सूकरस्य पृष्ठे स्थितःधनमर्थलामं च करोति अनलमपंके सकर्दमे तस्यैव पृष्ठे स्थितः काकः सद्यो ज्वरं कुरुत ॥ ८७ ॥ सद्य इति।सौरभपृष्ठसंस्थः मृतांगसंस्थश्च काकः मरणं करोतिरिक्तघटाश्मसंस्थः रिक्तघटस्थोऽश्मस्थश्च कार्यक्षति कार्यनाशं करोति तथा काष्ठमधिश्रितः काकः कलिं करोति ॥८८॥ य इति ॥ यः काकः दक्षिणं कूजति दक्षिणेन प्रयाति यश्चाभिमुखोऽभ्युपैति कृतारवः सन्प्रतिलोमगत्या पृष्ठे प्रयाति स रक्तं पातयति ॥ ८९॥ वाम इति॥बलिभोजनस्य पूर्व वामः ततः दक्षिणतः यो रवः स्यात्स अनर्थहेतुर्भवति तथा वामप्रदेशे प्रतिलोमयानं विघ्नाय स्यात् अतः तेन गृहे एव लाभः स्यात् ।। ९० ॥ प्रयातीति ॥ यदि दक्षिणेन कृतारवः पृष्ठे प्रयाति ॥भाषा॥ धनअर्थ लाभ करै. और कीच जाके लगो हुयो होय ता शूकरकी पीठपै स्थितकाक तत्काल अर करै ॥ ८७ ॥ सद्य इति। बैलकी पीठ बैठा काक तत्काल ज्वर करें है. और मरेके अंगपै बेठो काक मरण करै और रीते घडापै पाषाणपै बैठो काक कार्य क्षति करै. और काष्टपै बैठो काक कलह करावे ॥ ८८ ॥ य इति जो काक दक्षिणमाऊं शब्द कर और दक्षिणमाऊं गमन करे और पीछे सम्मुख आवे और सम्मुख वोल फिर प्रतिलोमगतिकरके पीठपीछे चलो जाय तो वो रक्तपात करे।। ८९ ॥ वाम इति ॥ बलिभोजन कर्ता काकको वामरव प्रथम होय फिर दक्षिण बोले तो अनर्थको हेतु होय. और वामप्रदेशमें प्रतिलोम गमन करे तो विघ्नके अर्थ होय. और ता करके घरमेंही लाभ होय ॥९० ॥ प्रयातीति For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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