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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोदकीरुते विवाहप्रकरणम् । (१८३ ) अन्यो यदा पांडविकायुगस्य मध्ये विहंगी श्रयते विहंगः ॥ भवत्यसाध्वी वनिता यदा नु श्यामा सपत्नी नियतं तदा स्यात् ॥२६६॥ वामस्वरं मैथुनसेवनं वा भक्ष्यप्रदानं यदि वा विधाय ॥ वामे ततस्तारमदीप्तसंस्थं साध्वी स्त्रियं जल्पति पक्षियुग्मम् ॥ २६७॥ आहारदानस्वरमैथुनानि पक्षिद्वयं दक्षिणतः करोति ॥ यदा तदानीं नियतं कुमार्या अहारि कौमारिकमन्य पुंसा || २६८ || भूत्वानुलोमं यदि कृत्तशाखे श्यामा तरौ तिष्ठति कोटरे वा ॥ तदा कुमारी क्षतयोनिमुद्रागृहीतभक्ष्या यदि गर्भिणी स्यात् ॥ २६९॥ ॥ टीका ॥ भवित्री ॥ २६५ ॥ अन्य इति ॥ यदा पांडविकायुगस्य मध्ये अन्यः विहंगः विहंग श्रयते तदा असाध्वी वनिता भवति । यदा श्यामा अयति तदा नियतं सपत्नी स्यात् ॥ २६६ ॥ वामस्वरमिति ॥ वामे वामस्वरं मैथुनसेवनं वा भक्ष्यप्रधानं कृत्यांतरं विधाय यदि ततस्तारमदीप्तसंस्थं पक्षियुग्मं स्यात् तदा स्त्रियं साध्वीं ज उपति ।। २६७ ।। आहारेति ॥ यदा आहारदानस्वर मैथुनानि पक्षिद्वयं दक्षिणतः करोति तदानीं नियतं कुमार्याः अन्यपुंसा कौमारिकमहारि ॥ २६८ ॥ भूत्वेति ॥ यदि अनुलोमा भूत्वा कृत्तशाखे तरौ श्यामा तिष्ठति तदा कुमारी क्षतयोनिमुद्रा स्यात् ॥ भाषा ॥ निश्वयही कुत्सित आचरण कर्ता होय ॥ २६५ ॥ अन्य इति ॥ जो पोदकीके युगल में और पक्षी विहंगी पोदकीके पास आय स्थित होय तो वो कन्या असाधुनी होय जो ये पोदकी दूसरे पक्षीके पास चली जाय तो निश्चयही कन्याके दूसरी सौत होय ॥ २६६ ॥ वामस्वमिति ॥ पादकीको युगल वामभागमें वामस्वर वा मैथुनसेवन वा भक्ष्य दान करके ता पीछे जेमने भाग में दीप्त दिशामें वा दीप्त स्थानमें नहीं होय ऐसो पक्षीको युग्म होय तो स्त्रीकं साध्वी कहें हैं ॥ २६७ ॥ आहारेति ॥ जो पक्षीद्वय आहार, दान मैथुन ये दक्षिणमांऊं करें तो निश्चयही कुमारी कन्याके और पुरुषकर के कुमारीपनो हरण होय ॥ २६८ ॥ ॥ भूत्वेति ॥ जो अनुलोमा होयकर श्यामा शाखा कट रही जाकी ऐसे वृक्षमें स्थित होय वा कोटरा स्थित होय तो कुमारी कन्या क्षत है योनि जाकी ऐसी होय और जो तारा For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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