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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोदकीरुतेअधिवासनप्रकरणम्। चतुर्गुणैः स्यादशभिः क्रमैस्तु निवर्तनं तत्र समे प्रदेशे ॥ शिलेटिकापादपमृत्तिकाभिः कार्याणि चत्वार्यथ तोरणानि ॥ ८ ॥ भूमित्रयं तत्र निवेशनीयं चतुश्चतुर्मासविभागयुक्त्या ॥ वर्ष विधेयं च ततश्चतुर्दा तिस्रोप्यवन्यः सुधिया क्रमेण ॥ ९॥ ॥ टीका ॥ चतुर्गुणैरिति ॥ चतुर्गुणैर्दशभिः क्रमैःसमे प्रदेशे निवर्तनं स्यात् । अत्र क्रमशब्दन एकं पादमुक्षिप्य यावद्भूमिप्रदेशमुच्यते तावान्भूमिप्रदेशः क्रम उच्यते अत्र क्रमशब्देन किंचिदधिकं हस्तमात्रं विवक्षितमन्यत्र, परिमाणादौ क्रमशब्देन वंशार्धमुच्यते यदुक्तमन्यत्र। 'वंशार्धसंख्यैश्च क्रमोऽभियुक्तः' इति। अन्यत्र क्षेत्रपरिमाणादौ दशहस्तपरिमाणो वंशः विंशतिवंशैनिवर्तनमिति।तदुक्तमन्यत्र"स्यायोजन कोशचतुष्टयेन तथा कराणां दशकेन वंशः॥ निवर्तनं विंशतिवंशसंख्यैः क्षेत्रं चतुर्भिश्व भुजैनिबद्धम् इति तत्र निवर्तने चतुरस्र मंडलं कुर्यात् तत्र चतुर्दिक्षु चत्वारितोरणानि चत्वारि द्वाराणि कार्याणि कैः शिलेष्टिकापादपमृत्तिकाभिरिति पूर्वस्यां शिलाभिः द. क्षिणस्यामिष्टिकाभिः ईट इति प्रसिद्धाभिः पश्चिमायां पादपैरुत्तरस्यां मृत्तिकाभिः॥ ॥ ८॥ भूमित्रयमिति ॥ चतुश्चतुर्मासविभागयुक्त्येति चतुर्णा चतुर्णा मासानां ॥ भाषा। वर्तन कहे हैं ।। ७ ॥ चतुर्गुणैरिति ।। समानपृथ्वीमें चालीसक्रमनाम पेंड करके एक निवर्तन होय है कमनाम कळू अधिक एकहाथ यामें तो कह्यो है और शास्त्रों क्रमनाम पांच हाथ कोहै, और दश हाथको वंश होय है, औरबीश वंशको एक निवर्तन होयहै, या रीति करके दायसे हाथको निवर्तन होयहै, जा शकुनमें जितने निवर्तन कहे हैं पूर्व उतनेही निवर्तनके परिमाणमें चतुरस्र मंडल करे तामें चार द्वारे या रीतसूं करें पूर्वमें शिलानकरके, और दक्षिणमें ईटकरके, और पश्चिममें वृक्षनकरके, और उत्तरमें मृत्तिकाकरके ऐसे चारों दिशानमें द्वारे चार बनावे ॥ ८ ॥ भूमित्रयमिति ॥ चारचार महीनानके विभागकी रचनाकरके ता निवर्तनस्थलमें तीन भूमि करनी इन तीनभूमिनके चार विभाग करके वर्ष करनो बुद्धिमान् पुरुषकरके जादेशमें जहांते वर्षको प्रारंभ होय ताखू आदिलेके क्रमकरके For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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