SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagerul Gyanmandit वर्षमान ॥१९॥ तस्यानूठत्सराजस्या-मरसिंहानिधः सुतः ॥ आरिषाणानिधग्राम-वासी कडे सुबुद्धिमान् ॥५॥ चरित्रम एवं तहंशजातानां । ज्येष्टानां कथितानि वै ॥ नामानि चानुसंधान-कृते ग्रंथकृता मया ॥ ६॥ तेषां पुत्रप्रपुत्राणां । परिवारोऽभवद्द हुः ॥ विस्तृतो यो महीपीठे । नूरीणां नाग्यशालिनां ॥ ७॥ अथैवमत्रामरसिंहनामा । वंशे वरे पंचदशे पदेऽभूत् ॥ मुक्तोपमोऽगण्यगुणो वरेण्यः । सुनिर्मलो ऽर्थिवजकंठसंस्थः ॥ ७॥ ते वत्सराजना “ अमरसिंह" नामे बुद्धिवान पुत्र थया, के जे कच्छदेशमां आवेला आरिखाणा नामे गाममा वसता हता. ।। ५ ।। (आ आरिखाणा गाम कच्छमा आवेला सुथरी गामथी एक गाउपर पश्चिम दिशामा हाल पण छे) (ग्रंथकार कहे छे के) एवी रीते (आ ग्रंथनायकना वंशना) अनुसंधान माटे में ते लालणवंशमा उत्पन्न थयेला मुख्य पुरुषोनां नामो कयां. ॥ ६॥ तेओना घणा भाग्यशाली पुत्रपौत्र विगेरेनो तो घणो परिवार थयेलो छे, के जे आ पृथ्वीतलपर विस्तार पाम्यो छे. ॥ ७॥ हवे अहीं उत्तम लालणवंशमा एवी रीते पंदरमी पहेडीए मुक्ताफलनी पेठे अगणित गुणोवाला ID (पक्षे-दोराबाळा ) मनोहर, निर्मल तथा (दान गुणथी) याचकोना समूहना कंठमा रहेला " अमरसिंह " नामे पुरुष ॥१ ॥ थया. ॥८॥ ( आ अमरसिंहना मूला अने राजा नामे वे भाइओ हता, जेमाथी राजाना वंशजो कच्छ मांडवीमा तथा जामनगरमा हालमा लालणगोत्रथी ओळखाय छे. जामनगरमा ते कुटुंब तलकसी जेसाणीना कुटुंबथी ओळखाय छे.) KOREA5 SC-CGCARRHECCA For Private And Personal Use Only
SR No.020877
Book TitleVardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarsagarsuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1924
Total Pages159
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy