________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. णाम्॥ दक्षिणाश्श्रद्धामामोति श्रद्धासुत्त्यमाप्प्यते॥३०॥एता /पू.अ. // 179 // वद्रूपम् // एतावद्रूपंथ्यज्ञस्ययद्देवैर्बहमणाकृतम् // तदेतत्सर्वमा / / प्नोतियज्ञेसौत्रामणीसुते ॥३१॥[२०]सुरावन्तम्बर्हिपदम् ॥सुरी वन्तम्बर्हिषदेम्सुवीरेय्य हिन्वन्तिमहिपानमोभि: // दी है। नात्सोमन्दुिविदेवासुमदुमेन्द्रंय्यज॑मानास्वा ॥३२॥यस्ते॥ / यस्तेरसत्सम्भृतऽओषधीषुसोमस्यशुष्ष्मन्सुरयासुतस्य // तेन है। जिन्वयजमानुम्मदैनुसरखतीमुश्चिनाविन्द्रमग्निम् ॥३३॥यम ASCCESSONEBCAMGARMAX For Private And Personal