________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PROMORRORAURROUPLORERCURRRRRRRORRU // वैशासमाहात्म्य अध्याय 22 // चकृतेधर्मेसनातने // 6 // प्रख्यातिश्चतिथेरस्याःकेनचासीत्तदप्यहं // वक्ष्यामिनृपशार्दूलसावधानमनाःशृणु // 7 // पुरापुरंदरस्यासीद्युद्धंचवलिना सह // देवानांचैवदैत्यानांद्वंद्वयुद्धमभूत्तदा // 8 // सनिर्जित्यवलिंदैत्यंपातालतलवासिनं // पन समासाद्यचोतथ्यस्याश्रमंययौ // 9 // तत्रापश्यशचतत्पत्नींगुर्विणींमंदगामिनी // चलच्छोणितटांबद्धरत्नकांचीसुमध्यमां // fe // 10 क्वणकंकणनिक्वाणजितमत्तालिकोकिलां // वल्गुचित्रांबरांरामांमंजु-15 वाचंशुचिस्मितां // 11 // लसत्कुंभस्थलाभ्यांचकुचाभ्यामुपशोभितां // 4 हसत्पद्ममुखांदिव्यांन्यकृतोत्पललोचनां // 12 // केतक्युदरपांडुभ्यांग१ गर्भिणीं। 2 श्रोणिनितंबः। 3 शोभनकटिदेशां। 4 वल्ग सुंदरं / 5 न्यकृते तिरस्कृते उत्पले याभ्यां / / CATEGटामाकान्छी ACCORNS For Private and Personal Use Only