________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लालजल FARRRRORKERCORRUPAISHERLOURISOLAURENDRURALIA // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 21 // // तान्दृष्ट्वाधर्मवर्णोऽपिसुभीतोऽत्यंतविस्मितः // 53 // वंशंपापात्क्षयंयांतंहशष्ट्वाद्वीपांतरंययौ / संचरन्सर्वद्रीपेषुलोकेष्वेवतुसर्वशः // 54 // पितृलोकंययौधीमान्कदाचित्कौतुकान्वितः॥ तत्रापश्यन्महाघोरान्भ्राम्यमाणांश्चकर्मभिः / // 55 // धावतोरुदमानांश्चपततःपतितानपि // तत्रापश्यच्चांधकूपेपति-15 शतान्स्वपितनथ // 56 // दूर्वाग्रालंबिनोदीनान्दूर्वाच्छेदेनकर्शितान् // तत्रा ख़ुःखादयत्यरादूर्वामूलंतदाश्रयं // 57 // तेनभागत्रयंचौत्तमेकोभागोऽवशे-15 षितः // तदृष्ट्वातेक्षीयमाणंमूलंदुःखेनकर्शिताः।। 58 // अधोदृष्ट्वाचांधकँपंतटपातादिभीषणं // दुरुत्तरंमहाघोरंकर्मणाप्तंसुदुःखिताः // 59 // अग्रेचापि 1 मूषकः / 2 भाक्षतं / 3 कृशतां प्राप्ताः / 4 नरकधिशेणं। HEECTETTEThan For Private and Personal Use Only