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(२०) रसराज महोदधि। अरु चिकित्सा नहीं करे तो रोगी मरसक्ता है जैसे दीपकमें तेल बाती होतेभी पवनसे दीपक नष्ट होता है तैसे साध्य रोगी चिकित्सा नहीं करे तो स्वल्पासाध्य होस्वल्पासाध्य चिकित्सा नहीं करे तो असाध्य हो असाध्य चिकित्सा नहीं करे तो मृत्यु होय जबतक श्वास आवें तबतक चिकित्सा करनी चाहिये कोई समयमें चिकित्सासे मरणप्रायभी जीवताहै आदिमें रोगीकी परीक्षा करै पीछे औषधकी परीक्षा करै पीछे समझकर औषध रोगीको देवै.
१ अथ शबंत गाजुबाँ. गाजुबाँ पावसेर, खांड एक सेर, पहिले गाज़वांको साफ करके दो या तीन पानीसे धोकर कपडेमें बांधि कै रातिको भिगावै सबेरे अग्निपर दोसेर पानी डारिकै चुरावै जब आधासेर पानी रहिजाय तो खांडडारिके शर्वत तयार करै, एक तोला खुराक शर्बतकी है सब रोगोंपर देवै.
२ अथ गाजबांके शर्बतकी दूसरी विधि. ___ हरी गाज़बाँका रस एक सेरले और एक सेर सफेद कंदले दोनोंको एकमें मिलायके चुरावै तब छानिले सात तोले छ:मासे गुलावका अर्क मिलायके चासनीकरले खुराक एक तोले दे यह हौलदिलकोशांत
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