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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसराज महोदधि । अथ कफ खाँसी डाँसी ऊर्द्धश्वासका लक्षण. दोहा - उद्र विषे एक नाटिका, होवै मलसों बन्द | कफ खाँसी उद्र श्वास बहु, करै व्यथा सब अंग ॥ अथ मन्दअग्निलक्षण. (७) जिस पुरुषके पेटमें मल खराब हुआ हो उसकी नाडी बहुत सुस्त चलै पेटमें गर्मी मालूम हो शरीर सुस्त रहै. खाना बराबर हजम न होय. मूत्र लालउतरे और सब अंगमें पीडा हो, या अंग गर्म रहै. मल बराबर उतरे नहीं ये लक्षण मन्द अग्निके हैं. अथ संग्रहणीका लक्षण जिस पुरुषके अंग में संग्रहणी होय शिर भारी रहै. आंख बैठ जाय. मल, मूत्र साथही उतरे दस्त पानीके सरखा होय अन्न पचै नहीं. दस्तके साथ वह अन्न गिरा करै शरीरका चेहरा बदल जाय. ये लक्षण संग्रहणीके हैं. For Private and Personal Use Only खूनी बवासीर का लक्षण तृषा अरुचि रुधिर निकले. दुर्बलहोय अतीसार होय. खाज होय. गुदा बीचमें फोड़ा निकलें ये लक्षण खूनीका है.
SR No.020866
Book TitleVaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Bhagat
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1820
Total Pages206
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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