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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिलते हैं, उनसे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित निष्कर्ष प्रतिभासित होते हैं1. मानव सभ्यता के आदियुग में एक ऐसा पुरुष हुआ, जिसने मानवीय संगठन को व्यवस्थित कर सत्ता का एक स्वरूप प्रतिष्ठापित किया। अपनी जाति या समुदाय का भरण और रक्षण करने की अपेक्षा से उसे 'भरत' संज्ञा दी गयी। 3. सत्ता के सर्वोच्च प्रकर्ष के रूप में चक्रवर्ती की सार्वभौम सत्ता की कल्पना की गयी। सत्ता अविभाज्य रहे, इसलिए ज्येष्ठ पुत्र के उत्तराधिकार के सिद्धान्त की प्रस्तावना की गयी। सभी प्रकार की निधियाँ चक्रवर्ती के अधीन करके उसका आर्थिक-संसाधनों पर सम्पूर्ण प्रभुत्व स्वीकार किया गया। स्त्री को सम्पत्ति, भोग्या और ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया और इसकी पुष्टि स्वरूप 96,000 रानियों की कल्पना की गयी। 7. जिस समयावधि में इन पुराण-कथाओं की रचना हुई, उस समय के भौगोलिक ज्ञान के अनुसार रचनाकारों ने छह खण्ड पृथ्वी को भारतीय प्रायद्वीप में ही परिसीमित कर दिया। आज का कथाकार इस छह खण्ड को वर्तमान में अभिज्ञात छह महाद्वीपों से समीकृत करना चाहेगा। सत्ताधारी के लिए अपने अधिकार का उपभोग अनासक्त-भाव से करना अभीष्ट है, ताकि जनता में व्यवस्था की निष्पक्षता और नियम-निष्ठा के प्रति विश्वास बना रहे। 9. सत्ता निष्कण्टक होनी चाहिए, अत: सत्ता के प्रति दावेदारों (contenders) को पराभूत किया जाना अपेक्षित है और इसके लिए कि वे रास्ते से हट जाएँ तथा आगे भी संकट न पैदा करें, सभी उपाय क्षम्य एवं अनुमन्य हैं। उपर्युक्त विवेचन चक्रवर्ती भरत के व्यक्तित्व को एक वैचारिक ऐतिहासिकता प्रदान करता प्रतीत होता है। यह वैचारिक अवधारणा किसी भौगोलिक सीमा से आबद्ध नहीं थी, वरन् यह विश्वव्यापी थी और विभिन्न भू-भागों में वहाँ के स्थानिक परिवेश के सापेक्ष उसकी व्याप्ति हुई। अन्य शलाका-पुरुष 2. तीर्थंकर अजितनाथ-इनके तीर्थ में द्वितीय चक्रवर्ती सगर हुए। 3. तीर्थंकर सम्भवनाथ 4. तीर्थंकर अभिनन्दननाथ 5. तीर्थंकर सुमतिनाथ इतिहास के प्रति जैन दृष्टि :: 37 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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