SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 450
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsur Gyanmandir तेतमः / प्रविशन्ति / येउयेपुनः / विद्यायामेवरताः / आत्मज्ञान एवाकृतकर्माणोरतानराः // 12 // अन्यदेव / अनादेव फलमाहुः विद्यायाः आत्मज्ञानादनाच्च आहुः अविद्यायाः कर्मण इति शुश्रुमेत्यादिव्याख्यातम् // 13 // विद्यां च / आत्मज्ञानं च अविद्यां कर्म च यस्तदुभयं वेद जानाति सह एकीभृतं कर्म काण्डं जानकाण्डस्य गुणभूतमथ कर्मकाण्डं जानकाण्डं च विद्यार्या रताः // 12 // अन्न्यदेव // अन्न्यदुवाहुर्खिद्यायोऽअन्न्य दाहुरविद्याया:॥ इतिशुरथुमुधौर्राणांट्येनुस्तहिचचक्षुिरे // 13 // लि द्याञ्च // लियाञ्चाविद्याञ्चयस्तहेटीभयंसह // अविद्ययामुत्त्यु / न्तीाबिद्ययामृतमश्नुते // 14 // ब्वायुरनिलम् // ब्वायुरनिलम एकीकृत्य अविद्यया कर्मकाण्डेन मृत्यु तीर्वोत्तौर्य कृतकृत्यो भूत्वा विद्यया ब्रह्मपरिज्ञानेनामृतत्वं मोक्षमश्नुते प्राप्नोति // 14 // इदानौमित्य कृतब्रह्मोपासनसा योगिन: शरीरपातोत्तरकाले यद्भवति तदाह / वायुरनिलं / वायुग्रहणमिन्द्रियाण्य कादश महाभूतानि पञ्चक शिवम For Private And Personal
SR No.020861
Book TitleUvvatbhashya
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy