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तुलसी शब्द-कोश
प्रकासी : भूकृ० स्त्री० । दीप्त हुई, प्रकट हुई । 'बचन नखत अवली न प्रकासी ।"
मा० १.२५५.१
प्रकासु, सू : प्रकास + कए० । अद्वितीय प्रकाश । मा० १.२३१.२; २.२६५.७ प्रकासे : भूकृ०पु० । प्रकाशित होने पर । 'जिमि जलु निघटत सरद प्रकासे ।' मा०
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२.३२५.३
प्रकास्य : विogo (सं० प्रकाश्य ) । प्रकाशित किया जाने वाला, अन्य के प्रकाश से प्रकाश पाने वाला | 'जगत प्रकास्य प्रकासक रामू ।' मा० १.११७.७
प्रकृति : सं० स्त्री० (सं०) । (१) सांख्यदर्शन की मूल
प्रकृति जो २३ तत्त्वों के
परिणाम का आदिकारण है । विन० ५४.२ (२) ( ( वैष्णव दर्शन में ) माया; त्रिगुणाश्रय प्रधान तत्त्व । ' प्रकृति पार प्रभु सब उर बासी ।' मा० ७.७२-७
(३) स्वभाव | 'समुझडु छाड़ि प्रकृति अभिमानी ।' मा० ५.५७.३
प्रकृतिपर : माया से परे, त्रिगुणातीत । 'प्रकृतिपर निरबिकार श्रीराम ।' विन०
२०३.६
प्रकृष्ट : वि० (सं० ) । उत्तम, उत्कृष्ट, सर्वोपरि । मा० ७.१०८.६
प्रगट : ( १ ) प्रकट | मा० २.५०.६ (२) प्रगटइ । 'कबहुंक प्रगट पतंग ।' मा० ४.१५ ख
प्रगट, प्रगट : (सं० प्रकटति > प्रा० प्रगटइ) आ०प्र० । प्रकट होता है, प्रकाश में आता है । 'कबहुंक प्रगटइ कबहुं छपाई । मा० ३.२७ १२ (२) (सं० प्रकटयति > प्रा० पगटइ ) : प्रकट करता है ।
प्रगट : आ०उए । प्रकट करता हूं। 'अस बिचारि प्रगटउँ निज मोहू ।' मा०
१.४६.१
प्रगटत: वकृ०पु० । प्रकट होता होते । 'सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें ।' मा० १.२३.८
प्रगटसि : आ०म० । तू प्रकट होती है । 'प्रिया बेगि प्रगटसि कस नाहीं ।' मा० ३. ३०.१५
प्रगहि : आ० प्रब० । प्रकट होते ती हैं । 'प्रगहि दुहि अटन्ह पर भामिनि ।' मा० १.३४७.४
प्रगटि : पूकृ० । ( १ ) प्रकट होकर । 'निज तनु प्रगटि प्रीति उर छाई ।' मा०
४.३.५ (२) प्रकट करके । 'कछु निज महिमा प्रगति जनाई ।' मा० १.३०६.७ प्रगटी : भूकृ० स्त्री०ब० । प्रकाश में आईं। 'प्रगटींमनि आकर बहु भाँति ।' मा०
१.६५
प्रगटी : भूकृ० स्त्री० । प्रकाश में आई । प्रगटी धनु विघटन परिपाटी ।' मा० १.२३९.६
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