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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 938 तुलसी शब्द-कोश सकहिं नर नारी।' मा० १.३११.६ (२) आ०-आज्ञा-मए० (सं० लक्षय> प्रा० लक्ख>अ० लक्खि) । तू देख । 'हम लखि, लखहि हमार, लखि हम हमार के बीच ।' दो० १६ लखि प्रत : वक०कवा० । दिखाई देता देते । दो० ४६७ लखीं : भूक०स्त्री०ब० । लक्षित की, देखी-जानी । 'लखीं सीय सब प्रेम पिआसी। मा० २.११८.३ लखी : भूक०स्त्री०। (१) लक्षित की, चिन्हों से जानी। परबस सखिन्ह लखी जब सीता ।' मा० १.२३४.५ (२) समझी । 'मैं न लखी सौति ।' कवि० २.३ लखु : आo-आज्ञा-मए० =लखि। तू देख । ‘सैल सग भव भंग हेतु लखु । विन० २४.२ लखे : भूकृ००ब० (सं० लक्षित>प्रा० लक्खिय) । पहचाने, समझे, लक्ष्य किये । ___'सुर लखे राम सुजान ।' मा० १.३२१ छं० लखेउ, लख्यो : भूक.पु०कए० (सं० लक्षितम् >प्रा० लक्खिअं>अ० लक्खियउ)। लक्षित किया, जाना । 'लखन लखेउ रघुबंस मनि ।' मा० १.२५६ लखै : लखइ । 'करषत लख न कोइ।' दो० ५०८ लख्यो : लखेउ । 'जानकी नाह को नेहु लख्यो।' कवि० २.१२ 'लग, लगइ : आ०प्रए० (सं० लगति>प्रा० लग्गइ) । संपक्त होता है, संश्लिष्ट हो जाता है, आसक्त होता है। तुलसी जासों हित लगे। दो० ३१२ लगत : (१) वकृ० । लगता-ती-ते। सिर धुनि गिरा लगत पछिताना ।' मा० १.११.७ (२) लगते ही । 'मुनि तिय तरी लगत पग धूरी।' मा० १.३५७.३ लगति : वकृ०स्त्री० । लगती । 'सुनत मीठी लगति ।' गी० २.८२.१ लगन : (१) सं० स्त्री० (सं० लगन-पु.)। प्रेम, आसक्ति । “जो पं लगन राम सों नाहीं ।' विन० १७५.१ पाही खेती बट लगन ।' दो० ४७८ (२) (सं० लग्न) नक्षत्र राशि जो क्षितिज से लगी उदय ले रही हो, उस राशि की क्षितिज लग्न कला । 'जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल ।' मा० १.१६० (३) विवाहादि मुहूर्त (जो उक्त लग्न पर होते हैं) । 'राम तिलक हित लगन धराई ।' मा० २.१८.६ (४) विवाह महूर्त के लग्न की पत्रिका । 'लगन बाचि अज सबहि सुनाई ।' मा० १.६१.७ लगनि : सं० स्त्री० (सं० लगन-पु.)। लग्ने (संसक्त होने) की क्रिया । 'नहिं बिसरति वह लगनि कान की।' गी० ५.११.३ लगहिं : आ०प्रब० (सं० लगन्ति>प्रा. लग्गति>अ० लग्गहिं) । लगते हैं (प्रतीत होते हैं)। 'तेहि लघु लगहिं भुवन दस चारी।' मा० १.२८६.७ लगाइ : पूकृ० । लगाकर (आरोपित कर) । 'बहु भांति बिधिहि लगाइ दूषन नयन बारि बिमोचहीं।' मा० १.६७ छं. For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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