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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 778 तुलसी शब्द-कोश बोलिबो : भक०पु०कए। बोलना, कहना । 'मधुर बचन, कटु बोलिबो।' दो. बोलिहैं : आ०भ०प्रब० । बोलेंगे। 'अब तो दादुर बोलिहैं ।' दो० ५६४ बोलिहौं : मा०म० उए । बुलाऊँगा-गी। 'बोलिहीं सुख नीदरी सुहाई।' गी १.१६.४ बोली : भूक०स्त्री०ब० । 'बोली बचन सक्रोध ।' मा० १.६३ बोली : भूक०स्त्री० । 'बोली सती मनोहर बानी ।' मा० १.६१.८ यह कर्मवाच्य प्रयोग होता है-धरि धीरजु बोली मृदु बानी। मा० १.१४६.१ यहां वक्ता मनु हैं। बोल : आ०-आज्ञा-मए० । तू बोल । 'रे कपि-पोत बोलु सँभारी। मा० ६.२१.१ . बोलें : बोलाएँ । 'जौं बिन बोलें जाह भवानी।' मा० १.६२.४ बोले : भूक पु०ब० । (१) कहने लगे। बोले बचन बिगत सब दूषन ।' मा० २.४१.६ (२) बुलाये, आहूत किये । 'कोपि दसकंध तब प्रलय पयोद बोले ।' कवि० ५.१६ (३) 'बोल' का रूपान्तर-कहने । 'लाज बांह बोले की।' कवि० ६.५२ बोलेउ' : आ०-भूक००+5ए । मैं बोला । 'अस बिचारि बोलेउ खगराजा।' मा० ७.८४.६ बोलेउ : भूक-पु०कए। बोला, कह चला। 'पुनि तापस बोलेउ।' मा. १.१५६.२ बोलेसि : आ०–भूकृ००+प्रए० । वह बोला । 'बल बोलेसि बहु भाँति ।' मा० ३.२२ बोलेहुं : बुलाए भी । 'जाइअ बिन बोलेहुं न संदेहा ।' मा० १.६२.५ बोलेहु : आ०-भूक००+मब० । तुम बोले, तुमने कहा-कहे । 'बोलेहु बचन दुष्ट की नाई। मा० ३.२८.१२ बोले : बोलहिं । गी० १.६५.१ बोल्यो, ल्यो : बोलेउ । (१) बोला, कहा। 'बचय मनोहर बोल्यो।' गी० २.१३.३ (२) बुलाया । 'तिलक को बोल्यो, दिये बन ।' गी० २.५७.२ बोल्लाह : बोलहिं । मा० ६.८८.१० बोहित : सं०० (सं० वोहित्थ) । जलयान, जहाज । मा० १.१४ ङ बोहितु : बोहित+कए । एक ही जहाज । 'संभु चाप बड़ बोहितु पाई।' मा० १.२६०.७ बोहे : आ०प्रब० । डुबाते हैं । 'रूप जलधि 'मन गयंद बोहैं।' गी० ७.४.५ For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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