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तुलसी शब्द-कोश
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बायन : सं०० (सं० उपायन>प्रा० वायन)। व्यावहारिक उपहार जो परस्पर
भेजते हैं । 'बायन देना' मुहावरा व्यक्त करता है कि जैसा किया है, वैसा फल बदले में मिलेगा (जिस प्रकार वायन बदले में देने की प्रथा है)। 'भले भवन
अब बायन दीन्हा । पावहुगे फल आपन कीन्हा ।' मा० १.१३७.५ बायनो : बायन+कए । 'है बायनो दियो घर नीके ।' क. 8 बायस : सं०० (सं० वायस) । (१) पक्षी (२) कोआ। 'बायस पलिअहिं अति
__ अनुरागा।' मा० १.५.२ बायों : बाय+कए । बायाँ (उपेक्षित)। 'बायों दियो बिभव कुरुपति को।'
विन० २४०.३ (बायां देना मुहावरा उपेक्षा करने के अर्थ में है)। बायो : भूक पु०कए० । बाया फैलाया। 'परी न छार मुह बायो।' विन.
२७६.२ बार : (१) सं०० (सं० वार) । दिन । (२) रविवार आदि दिन । 'नोमी भीम
बार ।' मा० १.३४.५ (३) अवसर, समय । 'एक बार भरि मकर नहाए।' मा० १.४५.३ (४) क्रम (बारी) (सं० वारा) । 'बूढ भए बलि मेरिहि बार।' हनु० १७ (५) आवृत्ति । 'करत सुरति सय बार ।' मा० १.२६.५ 'बारहिं बार ।' मा० १.७२.७ (६) विलम्ब, देर । 'तनहि तजत नहिं बार लगाई।' कृ० २५ (७) सं०० (सं० वाल)। केश, रोम । 'छूटे बार बसन उघारे।' कवि० ५.१५ (८) सं०पू० (सं० बाल)। बालक । (६) (सं० वार)
बाजार । दे० बारबधू । बारंबार : क्रि०वि० (सं० वारं वारम्) । पुनः पुनः । मा० ३.३४ बारक : (बार---एक)। एक बार । 'बारक नाम कहत जग जेऊ।' मा० २.२१७.४ बारन : सं०पू० (सं० वारण) । हाथी । मा० ६.१११.२ बारनि, न्हि : बार-+संब० । वारों=आवृत्तियों (में)। 'तिल ज्यों बहु बारनि
पेरो।' विन० १४३.२ बारबधू : सं०स्त्री० (सं० वारवधू) । बाजारू स्त्री=वैश्या । 'तारन बारन बार
बधू को।' कवि० ७.६० बारबार : बारंबार । गी० २.७४.१ बारय : आ०-प्रार्थना-मए० (सं० वारय)। निवारण कर, तू रोक दे । मा०
६.११५.३ बारह : संख्या (सं० द्वादश>प्रा० वारह) । दो० ३०७ बारहबाट, टा : (बारह+बाट) । बारह मार्गों में, अनेकधा बिच्छिन्न, नष्टभ्रष्ट ।
'रावन सहित समाज अब जाइहि बारहबाट ।' रा०प्र० ५.६.२ 'घालेसि सब
जगु बारहबाटा।' मा० २.२१२.५ बारहें : (सं० द्वादशे>प्रा० बारहये>अ० बारहवें । दो० ४६६
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