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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलसी शब्द-कोश 695 बलित : भूकृ०वि० (सं० वलित) । वक्र, लहरदार । 'मंजु बलित बर बेलि बिताना।' मा० २.१३७.६ बलिदान : सं०० (सं०) । उपहार विशेष जिसे देवबलि, पितृबलि और भूतबलि (पशु-पक्षियों को देय अन्न आदि) भेदों में विभक्त किया है। गी० १.५.४ बलिपसु : यज्ञ में देवोपहार हेतु मारा जाने वाला पशु । मा० २.२२.२ बलिभागा : (सं० बलिभाग) प्रत्येक देवादि के उपयुक्त नैवेद्य का पृथक्-पृथक् अंश (दे० बलिदान) । मा० २.८.५ बलिहारी : (१) (दे० बलि) न्योछावर । 'रति सतकोटि तासु बलिहारी ।' मा० ३.२२.६ (२) मैं न्योछावर हो जाऊँ, धन्य हो (मुहावरा) । 'जैसे हो तैसे सुखदायक ब्रजनायक बलिहारी।' कृ०६ बली : बलवान (सं० बलिन्) । मा० ६.७८.८ बलीमुख : सं०पु० (सं० वलीमुख) । वानर (सिकुड़न युक्त मुख वाला) । मा० ६.४६.७ बलु : बल+कए । 'हरि माया बलु जानि जियें ।' मा० १.५१ बलया : सं०स्त्री० (अरबी-बलयत = बलैया) । ब्याधि, दुःख, दुश्चिन्ता (अपने ऊपर लेने का मुहावरा है)। 'राय दसरस्थ की बलैया लीजै आलि री।' कवि० २.१२ बल्लम : सं०+वि.पु. (सं० वल्लभ)। (१) प्रिय । 'समर भूमि भए बल्लभ प्राना ।' मा० ६.४२.८ (२) पति । 'बल्लभ गिरिजा को।' विन० १.२.११ (३) श्रेष्ठ, महान् । बल्लमहि : वल्लभा को, प्रिय पत्नी को। 'को बिबेकनिधि बल्लभहि तुम्हहि सका उपदेसि ।' मा० २.२८३ बल्लभा : बल्लभ+स्त्री० । प्रिया, पत्नी । गी० ३.१०.२ बल्लभी : बल्लभा । कृ० २२ बल्लव : सं०० (सं०) । अहीर । बल्लवी : बल्लव+स्त्री० । अहीरनी । बल्ली : सं०स्त्री० (सं० वल्ली) । लता । दे० भुजबल्ली । गी० २.४६.३ /बव बवइ : आ०प्रए० (सं० वपति>प्रा० ववइ)। बोता है। 'बवै सो लुन निदान ।' वैरा०५ बहिं : आ०प्रब० (सं० वपन्ति>प्रा. ववंति>अ० वहि) । बोते हैं । दो० ४८७ बवा : भक०० (सं० उप्त>प्रा० वविध)। बोया। 'बवा सो लनि ।' मा० २.१६.५ For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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