SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलसी शब्द-कोश 667 aa बंसाटबी : (बंस+मटबी-सं० वंशाटवी) बांस का वन । विन० ५२.७ बंसी : (१) बनसी। मछली फंसने का कांटा । 'जनु बंसी खेलहिं चित दये ।' मा० ६.८८.५ (२) (समासान्त में) वि.पु. । वंश में उत्पन्न, वंश वाला । रघुबंसी आदि । (३) सं०स्त्री० (सं० वंशी) । बाँसुरी (सुषिर वाद्यविशेष)। बई : (१) भूकृ०स्त्री० । बोयो । 'बई बनाइ बारि बृदाबन ।' कृ० २६ (२) बोयी हुई (फसल) । 'लुनियत बई।' विन० २५२.३ बएँ : क्रि०वि० । बोने से । 'ऊसर बीज बएँ फल जथा।' मा० ५.५८.४ बए : भूकृ०० (सं० उप्त>प्रा० बविय)। बोये, बोये हुए । 'बए न जामहिं धान ।' मा० ७.१००.७ (२) बिखराये, फैलाये, प्रचारित-प्रसारित किये। 'बंदिन्ह बांकुरे बिरद बए।' गी० १.३.४ ।। बक : सं०० (सं०) । बगुला पक्षी । मा० १.६.२ (२) कंस राजा का सहायक बकासुर । 'बकी बक भगिनी काहू ते कहा डरेगी।' हनु० २५ बकउ : बगुला भी, बगुले भी। 'काक होहिं पिक, बकउ मराला ।' मा० १.३.१ बकता : वि०० (सं० वक्ता)। कहने वाला, प्रवचनकर्ता। 'श्रोता बकता ग्यान निधि ।' भा० १.३० ख बकध्यान : मिथ्या ध्यान, दम्भ । 'इहाँ आइ बक ध्यान लगावा ।' मा० ६.८५.७ बकराजि : (सं०) =बगाति । गी० ७.१६.२ बकसत : वक०० (फा० बख्शूदन =क्षमा करना (२) बख्शीदन् =देना)। (१) क्षमा करता-ते । (२) दान करता-ते। 'प्रभु बकसत गज बाजि बसन मनि।' गी० १.४५.५ बकसीस : सं०स्त्री० (फा० बख्शाइश) । दान, कृपा, पुरस्कार । कृपापूर्वक दान या पुरस्कार । 'भै बकसीस जाचकन्हि दीन्हा ।' मा० १.३०६.३ बहिं : आ०प्रब० (सं० वल्कयन्ति–वल्क शब्दे>प्रा० वक्कंति>अ० वक्कहिं) । बकते हैं, बकवास करते हैं । 'भृगुपति बकहिं कुठार उठाएँ।' मा० १.२८१.४ बकती हैं, बकवास करती हैं । 'ठाली ग्वालि उरहने के मिस आइ बकहिं बेकाहिं ।' कृ. ५ बकहि : आ०मए० (सं० वल्कयस्व>प्रा० वक्कहि) । तू बकवास कर। 'तुलसिदास जनि बकहि मधुप सठ।' कृ० ५१ बकिहि : बकी=बगुली को । 'बकिहि सराहइ जानि मराली।' मा० २.२०.४ बको : (१) सं०स्त्री० (सं०)। बगुली। (२) असुर स्त्रीविशेष, बकासुर की बहन पूतना राक्षसी । हनु० २५ बकुचौहीं : वि०स्त्री० । बकुचे के समान वस्त्रादि की बड़ी गठरी जैसी। 'राखी सचि कुबरी पीठ पर ये बातें बकुचौहीं।' कृ० ४१ For Private and Personal Use Only
SR No.020840
Book TitleTulsi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBacchulal Avasthi
PublisherBooks and Books
Publication Year1991
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy