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________________ ५५० तपास्त्रे ..अनुत्तरौपपातिका देवाः खलु भदन्त ! कियत् क्षेत्रम् अवधिना जानन्ति–पश्यन्तिगौतम ! संमिन्नां लोकनाडीम् अवधिना जानन्ति-पश्यन्ति, इति ॥ इति श्री विश्वविख्यात-लगद्वलभ-प्रसिद्धवाचक-पञ्चदश भाषाकलित ललितकलापालापक प्रविशुखायपधानकप्रन्थनिर्मापक शाहुच्छत्र . पति कोल्हापुरराजप्रदत्त, जैनशास्त्राचार्य पदभूषित जैनधर्मदिवाकर पूज्य श्री घासीलालवृति विरचित्तस्य दीपिका नियुक्ति टीकाद्वयोपेतस्य तत्त्वार्थ सूत्रस्य चतुर्थमध्ययनं समाप्तम् ॥४॥ प्रश्न-भगवन् अनुत्तरोपपातिक देव कितने क्षेत्र को अवधिज्ञान से जानते-देखते हैं ? उत्तर-गौतम ! संभिन्न (कुछ कम) लोक को जानते-देखते हैं ॥२८॥ श्री जैनशास्त्राचार्य, जैनधर्मदिवाकर पूज्य श्री घासीलालजी महाराज विरचित तत्वार्थ सूत्र की दौपिका-एवं नियुक्ति नामक व्याख्या का चोथा अध्ययन समाप्त ॥४॥
SR No.020813
Book TitleTattvartha Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1020
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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