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________________ दीपिकानियुक्तिश्च अ० ४ सू. २७ ज्योतिष्कदेवानां गतिसञ्चारादिनिरूपणम्: ५३९ सूर्यस्य च-द्वियोजनान्तरितमार्गाणां त्र्यशीत्यधिकं मण्डलशतं वर्तते सर्वोत्तरोदयस्य-सर्वदक्षिणोदयस्य च सूर्यस्याऽन्तरं दशाधिकपञ्चशतयोजनानि, । तत्रा-ऽशीत्यधिकशतयोजनान्यन्तरं जम्बूद्वीपे समुपलभ्यते, त्रिंशदधिकशतत्रययोजनानि चान्तरं लवणोदधौ लभ्यते । चन्द्रस्य चपञ्चदश मण्डलानि सन्ति, जम्बूद्वीपे-सूर्ययोश्चन्द्रयोश्च सर्वाभ्यन्तर मण्डलवर्तिनो रन्तरं चत्वारिंशदधिकषट्शतोत्तरनवनवतिसहस्रयोजनानि वर्तते ।। सूर्यस्य- स्वविमानमण्डलायामविष्कम्भाश्चा-ऽष्टाचत्वरिंशयोजनानि एकषष्टिभागाश्च योजनस्य [ 8 ] मनुष्यलोकाद बहिवर्तिनः सूर्यस्य विमानमण्डलविष्कम्भस्तु-चतुर्विश तियोजनानि, एकषष्टिभागाश्च योजनस्य [ २४ ] मनुष्यलोकाद् बहिर्वर्तिनः सूर्यस्य ६१ विमानमण्डलविष्कम्भश्च-द्वादशयोजनानि एकषष्टिभागाश्च योजनस्य [ १२, ] इति ५६ चन्द्रस्य विमानमण्डलविष्कम्भश्च षट्पञ्चाशद् योजनानि एकषष्टिभागाश्च [ ] ग्रहाणां विमानमण्डलविष्कम्भस्तु--अर्धयोजनम् । नक्षत्राणा--बिमानमण्डलविष्कम्भो एकयोजनस्य एकषष्टी भागाः क्रियन्ते तेषु षट्पञ्चाशत् भागपरिमितम् चन्द्रमण्डलम् । गव्यूतं कोषद्वयरूपम्-- तारायाः पुनः सर्वोत्कृष्टाया विमानमण्डलविष्कम्भोऽर्धक्रोशः । सूर्य के एक सौ चौरासी मंडल हैं। सूर्य के सर्वोत्तर में और सर्वदक्षिण में उदित होने पर ५१० योजन का फासला होता है । यह फासला १८० योजन जम्बूद्वीप में और ३३० योजना लवण समुद्र में पाया जाता है। चन्द्रमा के मंडल पन्द्रह हैं । जम्बूद्वीप में सूर्य और चन्द्र जब सब से अन्दर के मंडल में होते हैं तो उनमें निन्यानवे हजार, छहसौ, चालीस योजन का अन्तर होता है। सूर्य के मंडल की लम्बाई-चौड़ाई एक योजन के इकसठ भाग में से अडतालीस भाग है। (४८) मनुष्यलोक के बाहर के सूर्य के बिमान मण्डल का बिस्तार चौबीस योलन और इकसठ भाग (२४) है। मनुष्य लोक के बाहर के सूर्य के बिमानमंडल का बिस्तार बारह योजन और एक योजन के इकसठ भाग चन्द्रमा के विमानमंडल का विस्तार ५६ इगसठिया छप्पन भाग है । ग्रहों के विमानमंडल का बिस्तार आधा योजन है। नक्षत्रों के विमानमंडल का बिस्तार एक कोस का है। सब
SR No.020813
Book TitleTattvartha Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1020
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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