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________________ दोपिकानियुक्तिश्च अ० १ सू० ४१ नारकादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् १६३६ तत्त्वार्थनियुक्तिः–नारक-तिर्थङ्-मनुष्य-देवात्मकचतुर्गतिरूपे संसारे आयुषः स्थितिः किं व्यवस्थिता वर्तते उताहो अकालमृत्युरपि भवतीत्याशाङ्कायामुच्यते . "आऊ दुविहे, सोबकमे-निरुवक्कमे य-" इति । आयुस्तावद् द्विविधं भवति, अपवर्तनीयम् अनपवर्तनीयं च । तत्रापि अनपवर्तनीयं पुनर्द्विविधम् , सोपक्रम-निरुपक्रमं च । तत्रोपक्रमणमुपक्रमः क्षयः तेन सहितं सोपक्रमम्, अतिदीर्घकालस्थित्यपि-आयुर्येन कारणविशेषेणाऽध्यवसानादिनाऽल्पकालस्थितिकमापाद्यते स कारणकलापः उपक्रमः स्वल्पकरणम्, प्रत्यासन्नीकरणकारणमित्यर्थः । तेन तादृशोपक्रमेण सहितं सोपक्रममनपवर्तनीयमायुर्विषाग्निजलादिमज्जनादिकं । निर्गतउपक्रमो यस्य तद् निरुपक्रम चायुर्भवति अध्यवसानादिकारणकलापाऽभावात् । अथ यथा-ऽतिदीर्घकालस्थितिकमप्यायुः स्वपरिणतिविशेषाद् अल्पकालस्थितिकमापाद्यते, एवम्-अल्पकालस्थितिकमपि , आयुः रसायनाद्यपयोगतो दीर्घकालस्थितिरूपां वृद्भिमप्यापादयिष्यते ? . इति चेदुच्चते, दीर्घकालस्थितिकत्वेनाऽबद्धत्वात्-अल्पस्यायुषो वर्धनासम्भवात् । जन्मान्तरे वृद्धस्यैवाऽऽयुषस्तावता कालेन वाऽनुभवो भवति लघीयसा-दीर्धेण वा-ऽध्यवसानादियोगात् । अभिचारिककर्मणावाऽपि. अकालफलपाकवत् क्षीयते । अबद्धमायुस्तु—न शक्यते सम्बर्धयितुममृतरसायनोपयोगेनापि कदाचित्, यथा-दीर्घपट: वेष्टनयाऽल्पः शक्यते कर्तुम् । तत्वार्थनियुक्ति- नरक, तियेच, मनुष्य और देवगति रूप संसार में आयु की स्थिति क्या व्यवस्थित है ? अथवा क्या अकालमृत्यु भी होती है ? इस प्रकार की आशंका होने पर कहते हैं--- ___ आयु दो प्रकार का होता है-अपवर्तनीय और अनपवर्तनीय । अनपवर्त्तनीय आयु के भी दो भेद हैं-सोपक्रम और निरुपक्रम । जो आयु उपक्रमण अर्थात् क्षय वाली हो वह सोपक्रम कहलाता है । लम्बे समय तक भोगने योग्य आयु जिस कारण विशेष से अर्थात् अध्यवसान आदि निमित्त से अल्पकालिक हो जाता है, वह कारण उपक्रम कहलाता है, उसे स्वल्पकरण या प्रत्यासन्नीकरण भी कह सकते हैं, क्योंकि उससे आयु स्वल्प होता है या सन्निकट आ जाती है । जो आयु इस प्रकार के उपक्रम से सहित हो उसे सोपक्रम आयु कहते हैं। जिस आयु में विष, अग्नि, जलनिमज्जन आदि उपक्रम लागू न होसकें, वह निरूपक्रम कहलाती है । वहाँ अध्यवसान आदि कारण नहीं होते । __ शंका-जैसे दीर्घकाल की स्थिति वाला आयु कारण मिलने पर अल्पकालिक हो जाता है, इसी प्रकार क्या अल्पकालिक आयु रसायन आदि के सेवन से वृद्धि को प्राप्त होकर दीर्घकालिक भी होता है ? समाधान -जो आयु दीर्घकालिक रूप में नहीं बँधा है, ऐसी अल्प आयु की वृद्धि होना संभव नहीं है। वास्तविकता यह है कि पूर्वजन्म में जो आयु जितना बाँधा गया है, अगले जन्म में वह सब भोगना ही पडेगा, न उसमें कोई कमी होती है और न वृद्धि ही हो सकती है केवल विष शस्त्र आदि कारण उपस्थित. हो जाने पर दीर्घ काल तक भोगे जाने
SR No.020813
Book TitleTattvartha Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1020
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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