SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 855
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृष्ठ पंक्ति जीन १ ....... मुद्रा मूर्तिको 6 coco और २० अथ तत्त्वनिणयप्रासादस्य शुद्धिपत्रम् । अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध जिन २७ ७ पृछकके पृच्छकके समकित सम्यक्त्व , १२ एकनिष्ट एकनिष्ठ पारंगामी पारगामी १९ परवादियोंकी परवादियोंको ऋषभदेव ऋषभदेव प्तहां तहां जीन जिस मास भास देवप्रधान देवार्य अंधकारक अंधकारका चिन्ताचिताः चिन्तांचिताः १८ अनिवडा अनित्या रुपमद रूपमद द्वव्य द्रव्य मुद्रामुत्रिको स्वमावसें स्वभावसें देवकी देवीकी संसारिक सांसारिक कयीये करीये भद्रबाहू भद्रबाहु जीवनमोक्षावस्थामें . और जो और द्रव्यार्थक द्रव्यार्थिक प्रमख प्रमुख ओर अनपांगादि अंग उपांगादि । कारण क्रियाकारण कोठे कीतने कोठेकी तरें ब्रह्म ब्रह्मा कालमें आचारादि -२५ सम्यक्तं . सम्यक्त्वं ___ कालमें आचारादि' २६ गुणमयी । गुणमय । उपासक उपाशक अर्हनकी । अर्हन्का ) पाणिनी पाणिनि परन्तप परन्तपः लिखत लिखते सृष्टयार्थ सृष्टयर्थ कोई अजाण केई अनजान यावदष्ठशतं यावदन्दशतं ऋचाचे ऋचामें अध्याय शुनःशेषादि शुनःशेपादि ४७६ सवासां सर्वासां रक्तस्त्रावमें रक्तस्रावमें ४८२१-१५ स्त्रियाओंके-को स्त्रियोंके को तदन तदनु ५० १९ झुकुटी भूकुटी ऋचामें ऋचामें ५७ १० मृत्य मृत्यु ऋत्विजो ऋत्विजो पुरुषा परुषा दूत मुखातटः मुखावटः जैमिनीयाः पनः जैमनीयाः पुनः चाभदीप्ता चाभवदीप्ता मानं मान्य पिछला पिंगला ६७ २१ योजम् योजनम् जनमतवाले जैनमतवाले प्रणाम कोइ लोक केइ लोक ७१ १५-१७ अद्रुत अद्भुत ७३ ३ प्रसन्नान् प्रपन्नान् .. २२.९९ २८ • २४ २० दुत जमें २२ प्रमाण ॥ २१ सर्व सर्व For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy