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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तत्त्वनिर्णयप्रासाद ४७४ फल, धूप, दीपसें ग्रहों का पूजन करे. ॥ तदपीछे अंजलि में फूल लेके । Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॥ ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रशनैश्वरराहुकेतुमुखाग्रहाः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संतु महोत्सवदाः संतु ॥ " ऐसें कहके ग्रहोंके ऊपर पुष्पारोप करे. ॥ फिर इसी रीतिकरके । “ ॥ ॐ इंद्राग्नियमनिर्ऋतिवरुणवायुकुबेरेशाननागब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः इह जिनपादाग्रे समागच्छंतु पूजां प्रतीच्छंतु ॥ ” ऐसें कहके पूजापट्टोपरि लोकपालोंको वासक्षेप करे. ॥ तदपीछे | 66 “ ॥ आचमनमस्तु गंधमस्तु पुष्पमस्तु अक्षतमस्तु फलमस्तु धुपोस्तु दीपोस्तु | " ऐसें पढके क्रमसें जल, गंध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप, दीपसें लोकपालोंका पूजन करे. ॥ तदपीछे अंजलिमें पुष्प लेके । “ ॥ ॐ इंद्राग्नियमनिर्ऋतिवरुणवायुकुबेरेशाननागब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संतु महोत्सवदाः संतु ॥” यह पढके लोकपालोपरि पुष्पारोपण करे. ॥ तदपीछे पुष्पांजलि लेके । "|| अस्मत्पूर्वजा गोत्रसंभवा देवगतिगताः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संतु महोत्सवदाः संतु ॥” ऐसें कहके जिनपादाग्रे पुष्पांजलिक्षेप करे. ॥ तदपीछे फिर भी पुष्पांजलि लेके । For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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