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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अष्टमस्तम्भः। २२५ इस कथनसें यही सिद्ध होता है कि, येह सर्व श्रुतियां अज्ञानियोंकी कथन करी हुई हैं. क्योंकि, जे जीव गर्भसें उत्पन्न होते हैं, वे सदा अनादिकालसें अपनी २ मातायोंके गर्भसेंही उत्पन्न होते चले आते हैं; और यही इस जगत्के अनादि होने में बड़ा दृढ प्रमाण है. नहीं तो, कोइ भी पूर्वोक्त गर्भज जीवोंको विनागर्भके उत्पन्न करके दिखलावे. जब एक गर्भज मनुष्य विनागर्भके उत्पन्न करके दिखलावे, तब तो हम भी मनुष्यादिकोंकी उत्पत्ति गर्भविना मान लेवे; और अनादि संसार मानना छोड देवे. नहीं तो, अज्ञानीयोंके प्रलापमात्रकों तो, अज्ञानीही मानेंगे, नतु प्रेक्षावान् .॥ __ और पुराणमें तो ऐसा लिखा है “ एकवर्णमिदं सर्वं पूर्वमासीद्युधिष्ठिर। क्रिया कर्मविभागेन चातुर्वयं व्यवस्थितम् ॥१॥ ब्राह्मणो ब्रह्मचर्येण यथा शिल्पेन शिल्पिकः । अन्यथा नाममात्रं स्यादिन्द्रगोपककीटवत्॥२॥" __ भाषार्थ:-हे युधिष्ठिर ! पूर्वकालमें यह सर्व एकही वर्ण था, ब्राह्मणादि भेद नही थे; क्रियाकर्मके विभाग करके चार वर्णकी व्यवस्थिति पीछेसें हुई है. ब्रह्मचर्यके पालनेकरके ब्राह्मण होता है, जैसे शिल्पकरके शिल्पिक है, अन्यथा तो नाममात्रही है, इंद्रगोपक कीडेकीतरें. ॥ यह पुराणका कथन वेदके कथनसें बहुतही अच्छा मालुम देता है; क्योंकि, वेद तो सर्ववस्तुका नास्तिपणाही पुकारे है, जो कि, किसी भी प्रमाणयुक्तिसें सिद्ध नहीं होता है; परंतु यह पुराणका कथन वैसें नास्तिपणा नही कहता है. जैनमतमें भी वर्णव्यवस्था पीछेसें हुई लिखि है. क्योंकि, श्रीऋषभदेवजीके राज्यसमयसें पहिला इस अवसर्पिणीकालमें एकही जाति थी; श्रीऋषभदेवजीके राज्यसमयमें क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, और भरतचक्रवर्तीके राज्यमें ब्राह्मण, येह चार वर्ण, जैसे उत्पन्न हुए, सो कथन जैनतत्त्वादर्श ग्रंथसें देख लेना. प्रजापतिके मनसें चंद्रमा उत्पन्न हुआ लिखा है, यह भी मिथ्या है. क्योंकि, चंद्रमा जो है, सो पृथिवीमय-पृथिवीकायके उद्योतनामकर्मके उदयवाले जीवोंके शरीरोंका पिंडरूप चंद्रमा देवतायोंके रहनेका विमान For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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