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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ૧૨ तत्वनिर्णयप्रासादकरणे, तिसका नाम देशी प्राकृत है. जैनमतके चौदह (१४) पूर्व तो प्रायः संस्कृत भाषामेंही रचे जाते हैं. और अंगादि शास्त्र प्रायः प्राकृत भाषामेंही रचे जाते हैं. तिसका कारण संस्कार वर्णनमें लिखेंगे. और प्राकृत भाषा प्रायः विद्वज्जनमानभंजिका भी है. जैसे वृद्धवादीसूरिजीने, श्री सिद्धसेनदिवाकरकों एक गाथा प्राकृतकी पूछी; तिसका अर्थ तिनकों नही आया. तथा जितने अर्थाशकों प्राकृत दे सक्ती है, तितने अर्थांश प्रायः संस्कृत नही दे सक्ती है. इस वास्ते प्राकृत भाषा बहुत गहनार्थवालीहै. और इसी हेतुसे, जैनोंने अंगोपांगादिकी रचनामें प्राकृत भाषाही ग्रहण करी है. और दयानंदसरस्वतिजी जो लिखते हैं कि, जैनाचार्योंने अपने तत्वोंकों छाना रखनेके वास्ते धूर्ततासें प्राकृत भाषामें रचना करी है, इसका उत्तर, वाहजी वाह ! खूब विद्वत्ता दिखलाई! आपकों जो भाषा न आवे, उस भाषाके पुस्तक बनानेवाले वा लिखनेवाले धूर्त हैं. इस्से तो दयानंदस्वामीके लेखानुसार जिसकों संस्कृत भाषा नहीं आती है उसके वास्ते तो जितने वैदिकमतके, तथा और मतके पुस्तक, जो कि संस्कृतादिमें बने हुए हैं, वे सर्व धृत्तॊके बनाए सिद्ध होवेंगे. बलके वेद तो महा धूतोंके बनाए सिद्ध होवेंगे. क्योंकि उनकी रचना तो सर्व संस्कृत ग्रंथोंसें प्रायः विलक्षणही है. यदि कहोगे कि, वैदिक शब्दोंकों सिद्ध करनेवाला व्याकरण विद्यमान है, तिस्से वेदकी रचना सिद्ध हो सक्ती है; तो क्या प्राकृत शब्दोंकों सिद्ध करनेवाला व्याकरण नही है? यदि है, तो आपही धूर्त ठहरेंगे, जो कि सत्य शास्त्रोंकों असत्य और असत्यकों सत्य बनानेका उद्यम कर रहे हैं, वा करते थे. यदि दयानंदसरस्वतिजीने प्राकृत, शौरसेनी, मागधी, पिशाची, चूलिकापिशाची इत्यादि भाषायोंके व्याकरण पढे होते वा देखे होते तो कदापि ऐसा लेख नहीं लिखत; परंतु वे तो सिवाय अष्टाध्यायीके कुछ भी नहीं जानते थे, जो कि, उनोंके बनाए ग्रंथोंसें विद्वजन आपही जान १ देपो अर्थदीपिका श्राद्धप्रतिक्रमणवृति.. २ अन्य भी कोई अनाण कदानही ० ही कहते है. For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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