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वर्णबीजकोषः शब्द अर्थ शब्द
अर्थ केशव:- क्लीं
क्रिया-ऋाल केशी-आउाक्लों
क्रुद्धः-म कैटभजित्-आउावली क्रूटकूपरिरावण:-ह कटभारिः-ख
कर:-:(:) करवी-क
क्ररतर:-(अं) कलासः-ओ
फरेश:-(अं) कलासनिकेतन:-ए।गासाह क्रोङ्कारः-क्रों कैलासेण:-ओ
क्रीड़कान्ता-लाल कोक:-ऋ
क्रोडपुच्छ:-ढात कोटरः-इाई
क्रोडाङ्ग:-च कटरा-क
क्रोध:-ऋा:क्षाकाहुँ।हूं कोटराक्षी-ए।ऐ क्रोधनः-फाक कोटरी-इण
क्रोधनायक:-क कोटरीश्रोत्रम्-ण क्रोधसंहार:-क्ष कोप:-क्ष
क्रोधिनी-र कोपतत्त्वम्-क्ष . क्रोधीश:-क कोपनिवारण:-ह क्लिन्ना-उभ कोमलम्-ऋावाव क्लीववक्त्रम्-ङ कोलवक्त्रा-3
क्लेदिनी-लाबाक्रों कोलगिरिः-3
क्लेदुः-ऐ। सादा कोलगिरिपीठनिवासिनी-उ क्लेशित:-म कोश:-ष
क्वाण:-झों कोष्ठपोश:-ऐ
क्षणदा-त कौमारी-उऐओघाचाड क्षतज:-व कौमुदी-आ
क्षतजोक्षित:-र कौमुदीपति:-
ऐसाद्रों क्षत्रिणी-छ कौलिनी-ओ। (अं)।काश क्षपा-त
क्षपाकर:-
ऐसादा कौशिकी-आ
क्षमा-उबटाठाधानालाल क्रतुध्वंसी-ए।गासाह क्षमावती-क्ष
शब्द क्षरम-वाव क्षरः-ऐफ क्षय:-लाक्षाधं क्षया-ठ क्षान्ति:-उाड क्षान्तिदम्-ध्र क्षामकम्-ध्रु क्षामखण्डा-(अं) क्षामा-ह्रीं क्षायिनी-ङ क्षारम-न क्षारोदधि:-अ क्षितिः-जालालं क्षितिभृत्-दारू क्षोरम्-वावं क्षीरसमुद्रजा-श्री क्षीराब्धि:-रूँ क्षीरिकापीठ:-ध क्षीरोदनन्दनः-ऐछासाद्रा क्षीरोदसम्भवा-श्रीं क्षुधा-व क्षुरक:-ध्रु क्षेत्रप:-क्ष क्षेत्रपाल:-क्ष क्षेत्रपालबोजम-क्षं क्षेत्ररूपिणी-ऋ क्षोभणम्-द्रों क्षोभिणी-म क्षौद्रम्-ध्रु. क्षोणि:-लाल
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