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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शब्द अर्थ ईश्वरः - आई । ऊ | ए |ओ। ग नापामा साह ईश्वरी - ढाराहीं ईहा-ॐ ॥ उ ॥ उ:-ए।गा साह उग्र - उाए । (अं) | गाढा स हा हूं उग्रकाल:- म उग्रगन्धिकः - ग्लौं उग्र दर्प :- हूं उग्रबन्धनम् - उग्रभैरवी - ऐोऍ -म उग्रशूलधृक-ध उग्रशेखरा-ल उग्रहासिनील उग्रा-आ। ऋ । कख | मारं उग्रायुधः - ख उच्च संहर्ता उच्चाटनम्-ज उच्छून कम्-च्छ्रीं वर्ण - ख उब्जयिनी -थ उब्जयिनीपतिः - थ उड्ड-त्र उडुपः-ए। द्रां उड्डीशेश:- -प उत्कारी-व उत्तम:- जाट उत्तरभैरवः - ऐ www.kobatirth.org ajataकोष: शब्द उदकम् - व वं उदज:-आ उदरम्-म उदत्रि:- रा उदारकेश:-ड उदितात्मा -ङ उद्गारिणी-व उद्गारी-व उद्दाली-ज उद्देश्य :- ओ उद्भिज्जरूपिणी-ओ उद्यानपदेश्वरी-ल उन्नति:-त उन्मत्तः - ऐ । स उन्मत्तभैरवः - लृङ॥ ॐ उन्मत्तभैरवो-ऐ अर्थ उन्मादनम् - स उन्मादिक:-ध ६ उन्मादिनी - ई||छ उपधात्मिका-औ उपवन:-ड उपलम् -क्र 2 उपल:- क्रु उपशान्तिकृत - लृ उपस्थ:-म उपस्थाना-च उपहारक:- प उपान्त्य:--ल उपान्त्यग:- लु उन्मत्तो मत्तकः - इाका क्लीं उषा - ञ उष्मा - र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only उरग:-द उरोज : - जाज उरोरुह-ज उर्वरा - लाल उवंशी - आ ७) उर्वी - लाल उल्कामुखी-ओ शब्द उपेन्द्र :- आउ । क्लीं उभयदः - ॐ उमा - इ|उ | : ( अः ) खादा फ उमाकान्त: - ए| गाण | स उमापतिः - एाग | साह उमेश :- आ उशना :-त्री उषर्बुधः - रा १२५ उषर्बुधप्रिया - स्वाहा उष्माद:-ऊ उष्णरश्मिः - औ | म उष्मवर्ण-र अर्थ ॥ ऊ ॥ उष्माण :- शोष | 8 | ह उष्माहृदय: - र ऊकारान्त-ऋ ऊरुद्वयात्मक:-त ऊरुमूलम्-त ऊर्जम्वा ऊर्ध्वम्-ए । एँ ऊर्ध्वकेशिनी - उ | ऊ ] गाझ
SR No.020799
Book TitleDictionaries Tantrashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamkumar Rai
PublisherPrachya Prakashan
Publication Year1984
Total Pages180
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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