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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रथम खण्ड देश की आजादी के बाद आप पुनः बनारस गये और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्ययन करने लगे! शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपने सागर विश्वविद्यालय सागर, वर्णी जैन इन्टर कॉलेज ललितपुर, एम0एल0 डिग्री कालेज बलरामपुर अध्यापन किया। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संस्कृत विभागाध्यक्ष पद से आप सेवानिवृत हुए। में आपने पीएच0डी0 की उपाधि 'जैन अंगशास्त्र' पर सागर वि0वि0 से प्राप्त की। अनेक पुस्तकों के रचयिता डॉ() जैन के लगभग 60 शोध निबन्ध स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। चित्रकला भी आपका रुचिपूर्ण विषय था। आपके निर्देशन में दशाधिक शोध छात्र पीएच (डी) की उपाधियां प्राप्त कर चुके हैं, इनमें अधिकांश शोध जैन विषयों पर हुए हैं। सेवानिवृति के पश्चात् कुछ वर्षों तक आप अनेकान्त शोधपीठ, बाहुबली (कोल्हापुर) के निदेशक भी रहे। आप अनेक वर्षों तक अ0भा0 दि0 जैन विद्वत्परिषद् के मंत्री रहे थे। 1977 में मैथिली विश्वविद्यापीठ, दरभंगा ने आपको महामहोपाध्याय की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। अनेक शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के संस्थापक, पदाधिकारी डॉ० जैन प्रथम मिलन में ही सबको अपना बना लेते थे। 17 अक्टूबर 1989 को आपका निधन हो गया। (आ) - ( 1 ) म०प्र० स्व0 सै0, भाग - 4, पृष्ठ - 178 (2) वि) अ), पृष्ठ-539 (3) प0 जै० इ), पृष्ठ-262 श्री हरीभाऊ कोठारी श्री हरीभाऊ कोठारी, पुत्र - श्री टोकर सिंह जिला-बैतूल (म0प्र0) के निवासी थे। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले कोठारी जी जीवनपर्यन्त कर्मठ रहे। आजादी के इस दीवाने को अंग्रेज सरकार ने 11-9-42 से 8-5-44 तक कठोर कारावास दिया था। आप राष्ट्रभक्त और बैतूल के अच्छे जन आंदोलनकारी रहे थे। आ) - (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ - 182 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 377 श्री हीरालाल कोठारी कुशल अर्थशास्त्री श्री हीरालाल कोठारी का जन्म 18 अक्टूबर 1917 को उदयपुर (राज)) के सम्पन्न ओसवाल जैन परिवार में हुआ, बचपन में ही पिता का साया उठ गया । बम्बई में मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना होने पर वे उसके उत्साही कार्यकर्ता बन गये। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय कोठारी जी श्री माणिक्य लाल वर्मा के निमंत्रण पर श्री रंगलाल मारवाड़ी के साथ उदयपुर गये और 2 अक्टूबर 1942 को गांधी जयन्ती समारोह मनाने के अपराध 6 महीने नजरबंद कर दिये गये। बैंकिंग सेवा से सम्बद्ध कोठारी जी ने यूरोप, इंग्लैण्ड, अमेरिका आदि अनेक देशों की अनेक बार यात्रायें कीं। आ०- (1) रा० स्व० से०, पृष्ठ-589 श्री हीरालाल जैन जबलपुर (म0प्र0) निवासी और भिलाई प्रवासी श्री हीरालाल जैन, पुत्र- श्री अबीरचंद जैन का जन्म 19 सितम्बर 1915 को हुआ। छात्र जीवन में ही स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण आप अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके। आपके काका प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री प्रेमचंद उस्ताद आपके प्रेरणास्रोत रहे। 1930 के झण्डा सत्याग्रह में हीरालाल जी ने भाग लिया और गिरफ्तार हुए, परन्तु अल्पवय होने के कारण कोर्ट उठने तक की सजा आपको दी गई। For Private And Personal Use Only नमक आन्दोलन के दौरान आपके बड़े भाई कन्हैयालाल जैन को छह माह के कारावास की सजा दी गई थी। आप भी उस समय कुछ समय के लिए जेल भेज दिये गये थे, तभी जीवन भर खादी पहनने का व्रत लिया था। विदेशी वस्त्र बहिष्कार आन्दोलन
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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