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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 354 स्वतंत्रता संग्राम में जैन नहीं होने पर मोटर से नीचे उतार कर अदालत के का कभी मन नहीं बनाया। यही नहीं स्वराज्य प्राप्ति कमरे तक घसीटकर ले जाया गया। सभी के शरीर के बाद शासन ने स्वतंत्रता सेनानियों को आर्थिक एवं लहूलुहान हो गये थे। पेशी पर जनता की भीड़ हो अन्य सुविधाएं प्रदान की, पर शुभचंद जी ने किसी गई, इनके शरीर खून से लथपथ देख जनता में रोष भी सुविधा को लेने से इंकार कर दिया यहाँ तक कि फैल गया, नारे लगने लगे, स्थिति की गंभीरता को इनकी त्यागमयी भावना की गहरी छाप इनके कुटुम्ब देखते हुए हथकड़ियां खुलवा दी गईं और आगे पर पड़े वगैर नहीं रही। शुभचंद जी के स्वर्गीय हो हथकड़ी न डालने के भी आदेश हो गये। जाने के बाद उनकी धर्मपत्नी ने राज्य एवं केन्द्रीय सत्याग्रही राजनैतिक बंदियों को सामान्य कैदियों दोनों में से कोई भी पेंशन स्वीकार नहीं की, न पुत्रों के समान काम करना पड़ता था। इन्हें प्राय: चक्की पीसने ने कोई सहायता ली। दी जाती थी। चक्की दो व्यक्ति मिलकर पीसते, पर भारी आ)- (1) म0 प्र0 स्वा) सै0, भाग-1, पृष्ठ-112 (2) प) भरकम चक्की कमजोर और दुबले व्यक्ति न पीस पाते - जे0 इ0, पृष्ठ-413 (3) स्व0 स0 ज), पृष्ठ-172 (4) गजरथ स्मारिका, जबलपुर (5) दैनिक भास्कर, जबलपुर 17-8-1995 तो सजा पाते थे। श्री शुभचंद एक तगड़े व्यक्ति थे, वे अपने कमजोर साथियों का भी आटा पीस देते थे। श्री शेखरचंद जैन 1942 का आंदोलन अद्वितीय था। गांधी जी के जबलपुर (म0प्र0) के श्री शेखरचंद जैन, पुत्र-श्री दो नारों अंग्रेजो भारत छोड़ो और करो या मरो के साथ भोलेनाथ का जन्म 1916 में हुआ। आपने 1932 के आंदोलन की ज्वाला भड़क उठी। अनेक नेता और आन्दोलन में 6 माह के कारावास की सजा पाई। कार्यकर्ता भूमिगत हो गये। आन्दोलन की धारा बदल आ0-- (1) म0 प्र0 स्व) 30, भाग-1, पृष्ठ-112 गई, चारों ओर देश में तोड़फोड़ होने लगी। शुभचंद श्री शोभालाल जैन कब चुप बैठने वाले थे, ये भी भूमिगत हो अनेक प्रकार कटनी, जिला-जबलपुर (म0प्र0) के श्री के विध्वंसक कार्यों में संलग्न हो गये। एक बार रेल की पटरी उखाड़ते समय रात्रि में इन्हें देख लिया गया शोभालाल जैन, पुत्र श्री कालूराम का जन्म 1925 में हुआ। मिडिल तक शिक्षा प्राप्त श्री जैन ने 1941 के और बंदूक का निशाना बनाया गया पर बाल-बाल बच व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लिया। 1942 के भारत गये। एक छर्रा इनके पैर में घुस गया, जिसे एक ग्रामीण छोड़ो आन्दोलन में भी आपने भाग लिया और लगभग नाई से नाखून काटने की नहन्नी से निकलवा कर नौ माह के कारावास की सजा भोगी। पुनः सक्रिय हो गये, पकड़े जाने पर सेन्ट्रल जेल आ)-(1) म) प्रा) स्व० सै0, भाग-1, पृष्ठ-113 जबलपुर में रहे। आपको नेताओं की बी क्लास दी गई पर आपने सामान्य सत्याग्रही साथियों के साथ रहना श्री श्याम बिहारी लाल जैन पसंद किया और स्वेच्छा से सी क्लास में दो वर्ष जेल में ब्यावरा, जिला-राजगढ़ (म0प्र0) के श्री श्याम रहे। बिहारी लाल जैन, पुत्र-श्री मुकुट बिहारी लाल जैन जब देश आजाद हुआ तो इनके साथी शासन का जन्म 15 अक्टूबर 1922 को हुआ। में अपनी स्थिति बनाने के लिए दौडधप करने लगे। बी0आई0एम0एस) तक शिक्षा प्राप्त श्री जैन ने 1942 विधानसभा, राज्यसभा, लोकसभा में स्थान पाने की में श्री रामलाल वैद्य, अलीगढ़ की प्रेरणा से स्वतंत्रता दौड़ शुरू हो गई परन्तु शुभचंद जी एक ऐसे व्यक्ति आंदोलन में भाग लिया तथा कठोर शारीरिक यातनायें सहीं। थे, जिन्होंने राजकीय सत्ता के किसी भी पद पर जाने आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-1, पृष्ठ-124 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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