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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 339 हमारे आन्दोलन में भाग लेने की वजह से हमारे रहा, तभी आप जेल भी गये। बाद में आप जिला परिवारजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। काफी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। आपके पूर्वजों ने श्री आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा।" कुण्डलपुर जी, श्री नैनागिरि जी एवं दमोह में मन्दिरों ___1948 में आपने एल0एल0बी0 की परीक्षा उत्तीर्ण का निर्माण कराकर पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की, किन्तु सजायाफ्ता होने से वकालत की सनद नहीं के साथ गजरथ भी चलवाये थे। मिली। 27-10-72 को प्रसारित रेडियोवार्ता में जब सेठ लालचंद जी धार्मिक अनुष्ठानों में नियम से आपसे प्रश्न किया गया कि - 'आजादी प्राप्ति के समय भाग लेते थे। श्री सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर के अध्यक्ष पद आपको कैसा महसूस हुआ' तब आपने कहा था कि- पर 15 वर्षों तक रहकर आपने क्षेत्र की सेवा की 'आजादी प्राप्त करना जीवन का लक्ष्य बन चुका था, थी। आपके सहयोग से दमोह जिला में कई संस्थायें अतः इस लक्ष्य की प्राप्ति पर आनन्दातिरेक हुआ और चल रही हैं। आपने श्री वर्णी दि0 जैन पाठशाला को मैं अनुभव करने लगा कि मेरी व मेरे देशवासिसों की 60 एकड़ भूमि देकर उसके सञ्चालन में लाखों प्रत्येक श्वास अब स्वतंत्र है।' रुपयों का दान दिया था। ____आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-218 (2) पूज्य श्री वर्णी जी महाराज, 'जिन्होंने आजादी स्व0 स0 म0, पृष्ठ-62 (3) रेडियो वार्ता (4) म0 स0, पृष्ठ- के लिए अपनी चादर भी दे दी थी,' के दमोह ब 53 (5) नई दुनिया, (इन्दौर) अगस्त 1987 तथा 9 अगस्त 1997 (6) चिन्तन सुधा (7) जिनवाणी पदार्पण के समय आपने उनके उपदेशों से प्रभावित होकर उस समय एक मुस्त 50 हजार रुपये का दान नगर सेठ श्री लालचंद जैन दिया था। आपकी धर्मपत्नी भी उदार एवं दानशीला राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने वाले पहले देश थीं। श्री सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर की 20 एकड़ जमीन, फिर समाज' के सिद्धांत को अपनाने वाले थे। श्री जो फतेपर के बगीचे के नाम से जानी जाती है, को लालचंद जैन ऐसे ही व्यक्तित्व थे, वे जहाँ राष्ट्रीय आपने ही दान में दिया था। उस बगीचे से क्षेत्र को आन्दोलन में जेल गये वहीं उन्होंने जैन संस्थाओं को आज भी हजारों रुपयों की वार्षिक आमदनी है। भी भरपूर दान दिया। शुभ्र खादी का कुर्ता, बंद गले आ0- (1) प0 जै0 इ0, पृष्ठ-367 (2) श्री संतोष का कोट और ऊँची पट्टी की खादी की टोपी लगाये सिंघई द्वारा प्रेषित परिचय सेठ लालचंद जी प्रायः दमोह की हर सामाजिक सभा में सभापति बने दिखायी देते थे। जब जनता कांग्रेस श्री लालचंद सोनी की सभाओं में आने से भी डरती थी और मजाक मदनगंज (किशनगढ़) राजस्थान के श्री लालचंद उड़ाती थी तब भी सेठ साहब तखत पर बैठे भाषण सोनी नागरिक अधिकारों के लिए आर्य समाज के देते रहते थे। हैदराबाद सत्याग्रह में किशनगढ़ से सर्वप्रथम सत्याग्रही ____ आपका जन्म दमोह (म0प्र0) के सुप्रसिद्ध बनकर गये थे। स्थानीय 'उपकारक मण्डल' के द्वारा सेठ घराने में पिता श्री नाथूराम जी के यहाँ हुआ था। आपने राजपूताना के भंयकर अकाल में जो सराहनीय धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक सभी क्षेत्रों में सेवा की थी, वह इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगी। आप निपुण थे और सिद्धान्त के पक्के थे। 1932 में आपने ही बाद में इस 'उपकारक मण्डल' का सरकार के खिलाफ महात्मा गांधी ने जब असहयोग रूप परिवर्तन करके उसे प्रजामण्डल का रूप दे आन्दोलन चलाया, तब उसमें आपका विशेष योगदान दिया था। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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