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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 331 किया गया कि वे इसकी शिकायत किसी से नहीं करेंगे जी ने जयपुर में ही वकालत तथा अपने मित्रों को ही सुनायेंगे। आखिर जेलर का प्रारम्भ कर दी। हिन्दी, उर्दू, आग्रह बजाज जी को पूरा करना पड़ा। अरबी, फारसी, अंग्रेजी आदि दिनांक 24-6-43 को जेल से रिहा होने पर अनेक भाषाओं पर आपका बजाज जी सर्वप्रथम अमरावती के पास ही जैन तीर्थ समान अधिकार है। 1932 से मुक्तागिरी के दर्शन करने गये और बाद में घर दमोह आप राजनीति में सक्रिय हो आये। घर आते ही बजाज जी को पुलिस का नोटिस गये थे। सौगानी जी ने 1937 मिला कि वे सुबह शाम पुलिस स्टेशन पर आकर में 'नागरिक संघ' की स्थापना की। 1939 से 1951 हाजिरी दिया करें तथा बिना आदेश प्राप्त किये दमोह तक आप 'जयपुर शहर प्रजामंडल' के मंत्री रहे। से बाहर न जावें। दिनांक 15-9-43 तक बजाज जी 'जयपुर शहर कांग्रेस' के मंत्री पद का दायित्व भी को इस आदेश का पालन करना पड़ा। आपने सम्हाला था। स्वतंत्रता के बाद बजाज जी ने राजनीति से अपने 1939 में जयपुर राज्य प्रजामण्डल ने नागरिक को अलग कर लिया और जैन समाज के उत्थान के अधिकारों के लिए जो आन्दोलन छेड़ा था, उसमें सौगानी कार्यों में जट गये। आपने अनेक सामाजिक संस्थाओं जी ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। 12 फरवरी 1939 की स्थापना की और उनके विकास में योगदान दिया। को एक सत्याग्रही जत्थे का नेतृत्व करते हुए आप महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने स्वयं गिरफ्तार कर लिए गये और छह मास के कारावास के व्यय से 'उषा सिलाई कला महिला विद्यालय' की की सजा आपको भोगनी पड़ी। स्थापना की। 1974 में भगवान् महावीर के 2500वें सौगानी जी जयपुर राज्य प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाण महोत्सव के अवसर पर आपके सक्रिय सहयोग जयपुर शहर से निर्वाचित हुए और 1944 से 1949 के उपलक्ष्य में केन्द्रीय समिति ने आपको स्वर्ण पदक तक प्रजामंडल पार्टी के उपनेता और सचेतक रहे। से सम्मानित किया था। आप तीर्थभक्त की उपाधि से आपने प्रतिनिधि सभा जयपुर के पहले बजट पर ( प्रमुख विभूपित थे। आपने दमोह जिले के भूले बिसरे स्वतंत्रता वक्ता होने के कारण) पूरे सात घंटे तक लगातार भाषण संग्राम सेनानियों का इतिहास लिखना व उनके चित्रों दिया था। अपने इस संसदीय जीवन में सौगानी जी का संग्रह करना प्रारम्भ किया था। पर सम्भवतः यह को सर वी0टी0 कृष्णमाचारी और सर मिर्जा इस्माइल प्रकाशित नहीं हो सका। 7-1-1988 को आपका जैसे कुशल प्रशासकों के साथ काम करने का अवसर निधन हो गया। मिला था। आ0 - (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-90 आ0- (1) रा0 स्व) से0, पृष्ठ-587 (2) जै0 स0 q0 (2) प0 जै) इ.), पृष्ठ 429 (3) 'समर्पित सुमन' लघु पुस्तिका डा पाप्त 110 श्री रूपचंद सौगानी, एडवोकेट श्री रोशनलाल बोर्दिया अस्पृश्यता निवारण और हरिजन शिक्षा के लिए मेवाड प्रजामण्डल व कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे, समर्पित श्री रूपचंद सौगानी, पुत्र-श्री जौहरी लाल का . । उदयपुर (राजस्थान) के श्री रोशनलाल बोर्दिया का जन्म जन्म जयपुर (राजस्थान) में 14 जून 1907 को हुआ। __1903 में हुआ। उदयपुर में सूखे मेवे का व्यवसाय एल0एल0बी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सौगानी करने वाले बोर्दिया जी 1932 में राजनीति में आये। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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