SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 405
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 328 स्वतंत्रता संग्राम में जैन थे। टी0 बी0 के मरीज कृष्णा को वे रक्तदान करने आO- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-102 (2) कई मास तक नियमित बम्बई गये। वे दो समय के स्व० स० ज0, पृष्ठ-161 (3)अनेक प्रमाण पत्र भोजन के बीच में पानी के सिवा कुछ नहीं लेते थे।' श्री रूपचंद जैन 25 जून 1979 को नागड़ा जी का देहावसान हो गया। सहारनपुर (उ0प्र0) के श्री रूपचंद जैन 1930 आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-111 (2) से ही स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय हो गये थे। सहारनपुर श्री रायचंद नागड़ा, पुण्य स्मरण (स्मारिका) (3) नई दुनिया, ? में 25 मार्च 1932 को धारा 144 तोड़ने के आरोप अक्टूबर 1997 (4) नवभारत, भोपाल 18 सितम्बर 1997 में वैद्य रतन लाल चातक, श्री रामरतन वर्मा तथा श्री रूपचंद जैन आपको गिरफ्तार कर लिया गया था। इस सन्दर्भ में जबलपुर (म0प्र0) के श्री रूपचंद जैन, पुत्र वैद्य जी ने एक साक्षात्कार में बताया था कि- "(भाषण श्री नेमीचंद जैन का जन्म 1911 में हुआ। 1932 के करने पर) श्री चन्द्रधर जियाल मजिस्ट्रेट ने आकर मझसे कहा कि - 'आपको गिरफ्तार कर लिया गया आन्दोलन में आप गिरफ्तार हुए और जबलपुर जेल में 6 माह बन्द रहे। है।' उसी समय रामरतन और रूपचंद मुझे माला पहनाने आये अत: उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया' आ0-(1) स्व० स० ज०, पृष्ठ-192 तीनों की गिरफ्तारी पर बाहर खड़ी जनता ने श्री रूपचंद जैन नारे लगाये तो उन पर लाठी चार्ज किया गया। जेल सागर (म0प्र0) के श्री रूपचंद , पुत्र-श्री में सुनवाई के बाद इन तीनों को सजा हुई और वृजलाल जैन का जन्म 1910 में हुआ। आपने बरेली जेल भेज दिया गया। बरेली जेल की एक माध्यमिक तक शिक्षा ग्रहण की 1942 के भारत रोचक घटना है। जेल के फाटक पर जब ये तीनों छोड़ो आन्दोलन में आपने भाग लिया तथा 6 माह पहुंचे तो उनके अनुसार- "हमने देखा कि वहाँ का कारावास भोगा। राजनैतिक बन्दियों को पीले वस्त्र पहना रखे थे। आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-62 उनमें से किसी की आंख और किसी का मुंह सूजा सेठ श्री रूपचंद जैन हुआ था। इस प्रकार ऐसी लम्बी कतार दिखाकर हमें श्री रूपचंद जैन, पुत्र-श्री लक्ष्मीचंद जैन का . कहा गया कि - 'यह बरेली जेल है, यहाँ यही हाल जन्म 1927 में जबलपुर (म0प्र0) में हुआ। 1942 होता है।' और एक बड़ा जूता दिखाया गया कि के आन्दोलन में आपने भाग लिया और 6 माह का इससे पिटाई होती है। फिर हमारा मुण्डन संस्कार किया गया और उसके बाद हमें बैरक में भेजा गया।" कारावास भोगा। आप कुछ समय गुना जेल में भी रहे। रूपचंद जी ने एक साक्षात्कार में कहा था किआपने अंग्रेजों के विरुद्ध परचे "वहाँ कैदियों से चक्की पिसवायी जाती थी, कोल्हू छपवा कर ट्रेन में वितरित | चलवाया जाता था और पानी की हौज में आदमी को किये थे। आप सेन्ट्रल जेल डालकर बेतों से पिटाई की जाती थी। जो माफी नहीं जबलपुर के नीचे गिरफ्तार | मांगता था, उसके साथ ऐसा (उपरोक्त) व्यवहार होता हो गये थे। आपका निधन था।" आपने बताया था कि - "माफी न मांगने पर हमारी भी खूब जमकर पिटाई हुई। पैरों पर लाठियाँ 30-3-1977 को हो गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy