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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 322 ही स्वर्गवासी हो गये । यतः आप पिता के इकलौते पुत्र थे, इस कारण गांव से बाहर कहीं अध्ययन को नहीं भेजा गया और गांव में ही आपने माध्यमिक तक शिक्षा ग्रहण की। आपके जीवन पर माता के उपदेशों का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। उन दिनों राजनैतिक हलचल के कारण थोड़े बहुत समाचार पत्र ही गांव में पहुंचते थे। जिन्हें पढ़कर आपके मन में देशप्रेम और गुलामी के बन्धनों को तोड़ने की ललक जागी । 1938 में ग्वालियर राज्य में स्थापित 'राज्य सार्वजनिक सभा' का अधिवेशन उज्जैन में हुआ । ग्वालियर में भी राजनैतिक चेतना जागृत हुई। फलस्वरूप 1939 में श्री शिवशंकर रावत की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ, जिसका उद्घाटन डॉ० पट्टाभि सीतारमैया ने किया। जगह-जगह तिरंगे झण्डे लहराने लगे। जिन्हें देखकर आपने देश की आजादी पर मर-मिटने की कसम खाई। इस अधिवेशन के दो माह पश्चात् श्री मुरलीधर धुले कुलैथ गये, जिनसे प्रभावित होकर आप स्वतंत्रता आंदोलन में निर्भय होकर कूद पड़े। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में आप गिरफ्तार हुए और आपको 9 माह 10 दिन का कारावास हुआ, जो आपने सबलगढ़ तथा मुंगावली जेल में काटा। आप ग्वालियर राज्य, राज्यसभा के सदस्य रहे और तत्कालीन ग्वालियर राज्य में स्वदेशी की भावना और आजादी की अलख जगाने में निरन्तर ग्राम अंचलों से जुड़े रहे। आ) - (1) म) प्र) स्व० सै0 भाग - 4, पृष्ठ 249 (2) व (0) स) इ), पृष्ठ 103 श्री रामजीलाल जैन स्वाधीनता आन्दोलन के साथ बलिप्रथा रोकने में महनीय भूमिका निभाने वाले रेवाड़ी के श्री रामजी लाल जैन का जन्म 1905 के आसपास हुआ, पिता का नाम श्री रामप्रसाद उर्फ सुखदेव जैन था। 1929 में आप कांग्रेस के सदस्य बने, खादी पहनना प्रारम्भ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन किया और श्री भगवानदास, फूलचंद अग्रवाल आदि के मार्गदर्शन में काम किया। 1930 में श्री हरसहाय मल चुन्नीलाल बजाजा बाजार की कपड़े की दुकान पर पिकेटिंग में जां 14 सत्याग्रही गिरफ्तार किये गये उनमें आप भी थे। सबके साथ आपको भी 50/-रू0 का जुर्माना या एक माह की कैद की सजा सुनाई गई, आपने जेल जाना उचित समझा। सत्याग्रह आन्दोलन में आप आसपास के गांवों भूड़पुर, भड़ावास, धारूहेड़ा आदि से सत्याग्रहियों को दिल्ली लाते थे अत: पुलिस ने पुनः गिरफ्तार कर लिया और दो वर्ष की सजा तथा 100/- रु0 जुर्माना या चार माह की और कैद की सजा दी । आपको ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया। 20-2-1991 को आपका निधन हो गया। आ) (1) रेवाडी सेनानी सूची क्रमाङ्क- 5 श्री रामबाबू जैन फिरोजाबाद (उ0प्र0) के श्री रामबाबू जैन, पुत्र - श्री धूरी लाल जैन 1942 के आन्दोलन में सक्रिय रहे और 13 मार्च 1943 को डाक बङ्गला जलाने के आरोप में श्री धनवन्त सिंह जैन व श्री संत लाल जैन के साथ गिरफ्तार होकर सेन्ट्रल जेल आगरा में 6 माह तक नजरबंद रहे। आपके चाचा श्री महावीर प्रसाद जैन भी जेल यात्री रहे हैं। (आ) (1) जै० स० स० 310 (2) जै) से० ना० अ०, पृष्ठ-5 (3) अमृत, पृष्ठ-25 (4) उ0 प्र0 जै) ६०, पृष्ठ-91 श्री रामराव जैन इन्दौर (म0प्र0) निवासी श्री रामराव जैन, पुत्र - श्री आत्माराम जैन का जन्म 5-4-1913 को आबनेर, जिला- इन्दौर में हुआ। अपना परिचय देते हुए आपने लिखा है कि 'मेरे माता पिता बहुत ही गरीब For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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