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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 269 निभाई। स्वतंत्रता की अलख जगाने का काम करते प्रजामण्डल के प्रेसीडेंट रहे। आपके भाई श्री पन्नालाल हुए अनेक यातनायें झेली और आर्थिक हानि भी जी तथा परिवार के अन्य सदस्य भी जेल गये। नवभारत उठाई। ही लिखता है-'फरवरी 1943 में अपने मुखविरों से आ0-(1) मा प्र) स्व) से), भाग-5, पृष्ठ-117 सुराग मिलने के बाद पुलिस ने कुछ घरों पर ऐन सुबह श्री मन्नालाल जैन पंचोलिया छापे मारे। श्री चितरंजन पंचोलिया (जिनके पिता श्री जागीरदार से अचानक कांग्रेसी बन बैठे श्री र मन्नालाल पंचोलिया मंडलेश्वर जेल में बन्दी थे) और श्री फकीरचंद (फणीन्द्रकुमार) जैन पकड़े गये और मन्नालाल जैन पंचोलिया, पुत्र-श्री पदमसा का जन्म 1896 में सनावद (म0प्र0) में हुआ। पहले पंचायत उन्हें एक-एक माह की सजाएं हुईं। उनके तीन अन्य के मुखिया के नाते आपका अपना एक खास प्रभाव साथी रूपचंद पारनी, सुमेरचंद जटाले और कुबेरचंद था। बारीक मलमल के कुरते, इन्दौरी चौंच पर पगड़ी पंचोलिया चेतावनी देकर छोड़ दिये गये, ये सभी उस और बगुले सी सफंद महीन धोती के नीचे पावों में - समय श्री दिगम्बर जैन हाईस्कूल में पढ़ते थे।' समय पेटेण्टपम्प शू पहिने जब आप 'जागीरदार' (प्रचलित आ)- (1) म0 प्र0 स्व) सै0, भाग-4, पृष्ठ-90 (2) सर्वश्रुत नाम) को कोई देखता तो किसी का रौब के जा) स0 रा0 अ0, पृष्ठ-75 (3) नवभारत, इन्दौर, 4 सित0 1997 कारण, किसी का प्रतिष्ठा और प्रतिभा के कारण हाथ श्री मयाचंद जटाले अपने आप अभिवादन करने उठ जाता था। पर देश सनावद (म0प्र0) के प्रसिद्ध गांधीवादी नेता की आजादी की ऐसी लगन लगी कि आप किसानी श्री मयाचंद जटाले, पुत्र- श्री रतनसा का जन्म 21 पूरी बांह की बंडी (वस्त्र विशेष) घुटनों तक खादी दिसम्बर 1915 को हुआ। 1940 से आप रा0आ0 की धोती, खादी की टोपी और वर्षों से बिना बदला में शामिल हो गये थे। आपने अपने जीवन का फ्रेम का चश्मा पहनने लगे और प्रजामण्डल के कार्यों प्रत्येक क्षण देशसेवा के लिए अर्पित कर दिया था। में सदैव संलग्न रहने लगे। आप प्रजामण्डल के ठोस कार्यकर्ता रहे और निमाड़ 1942 में आपने लगभग डेढ़ वर्ष तक जिले के बड़वाह परगने में खोडे सा) के बाद जेल- यातनायें सहीं। नवभारत, इन्दौर, 4 सितम्बर 1997 उत्तरदायी शासन प्राप्ति के आन्दोलन में जेल जाने के अनुसार आपको जेल तोड़ने के आरोप में सात वर्ष वाले समाज के प्रथम व्यक्ति थे। आपको रचनात्मक की सजा हुई थी। पत्र लिखता है-'पांच जेलयात्री सर्वश्री कार्यक्रमों में पूर्ण विश्वास था। आपने सक्रिय रूप से मयाचंद जटाले, मन्नालाल पंचोलिया, नारायण दास सनावद में शुद्ध खादी व तेल भण्डार का सहकारिता जायसवाल, कमलचंद जैन और सुमेर चंद को जेल के सिद्धांत पर संचालन किया था। 1942 में आप में हो रही ज्यादतियों के खिलाफ बगावत करके 2 दूसरी बार गिरफ्तार किये गये व एक वर्ष एक माह अक्टूबर को मंडलेश्वर जेल तोड़ने, नगर में जाकर अट्ठाईस दिन बाद छोड़ दिये गये। मंडलेश्वर जेल गांधी जयन्ती की सभा में भाग लेने के आरोप में तोड़कर गांधी जयन्ती मनाने के कारण भी आपको सात-सात वर्ष की सजायें हुईं और उन्हें इन्दौर के 51 सात वर्ष की कैद हुई। आपका निधन 13 दिसम्बर सत्याग्रहियों के साथ सेन्ट्रल जेल भिजवा दिया गया।' 1988 को हो गया। कर्तव्य के कठोर और स्पष्टवादी पंचालिया जी राज्य आ()- (1) म0 प्र0 स्व) सै), भाग-4, पृष्ठ-91 प्रजामण्डल के प्राणवान् कार्यकर्ता रहे। आप सनावद (2) जै0 स0 रा) अ0 (3) नवभारत, इन्दौर, 4 सितम्बर 1997 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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