SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 267 प्रतिशोध की भावना का उदय हुआ और उसने आपको श्री मगनलाल कोठारी घोड़े से कुचलना चाहा किन्तु वह असफल रहा। विधि स्नातक श्री मगनलाल कोठारी, पुत्र- श्री 1940 4। को आपके राजनीतिक जीवन का कन्हैया लाल कोठारी का जन्म 1916 में हरदा, 'उत्सर्ग-वर्ष' कहा जा सकता है। इस वर्ष कांग्रेस ने जिला-होशंगाबाद (म0प्र0) में हुआ। 1932 में पिकेटिंग द्वितीय विश्व युद्ध के समय सरकार को सहयोग देना करने पर 6 माह की सजा एवं 100/- रु0 जुर्माना अस्वीकार कर दिया था तथा महात्मा गाँधी के आदेश आपको भोगना पड़ा। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन पर समस्त देश में व्यक्तिगत सत्याग्रह का सूत्रपात हुआ। में पहले तो आप भूमिगत रहे परन्तु बाद में गिरफ्तार इस आंदोलन में सिंघवी जी इस क्षेत्र में कार्यरत रहे कर 18 माह नागपुर जेल में नजरबंद रखे गये। 50 जिससे आपको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और रु0 का अर्थदण्ड भी इस समय आपने भोगा। शहर 4 माह तक नागपुर जेल में बन्द रखा। के प्रतिष्ठित वकील एवं पत्रकार कोठारी जी जनपद 1942 में कांग्रेस ने करो या मरो का नारा बुलंद सभा के उपसभापति/सभापति आदि पदों पर रहे हैं। किया तब सिंघवी जी को पुन: पुलिस ने गिरफ्तार आ) (1) म0 प्र0 स्वा सै०, भाग-5, पृष्ठ- 336 (2) हरदा और स्वतन्त्रता संग्राम, पृष्ठ-79 कर एक वर्ष दस माह का कारावास दिया। इस अवधि को आपने नरसिंहपुर, जबलपुर और होशंगाबाद के श्री मगनलाल गोइल कारागृहों में बिताया। आपको इस जेल जीवन में पूज्य दो बार टीकमगढ़ विधान सभा क्षेत्र से म0प्र0 विनोबा भावे, पं0 द्वारका प्रसाद जी मिश्र और श्री विधानसभा के सदस्य (विधायक) रहे तथा लगभग बृजलाल बियाणी के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 16 वर्ष तक नगरपालिका स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् आप नरसिंहपुर जनपद सभा परिषद् टीकमगढ़ के सदस्य, के अर्थ सदस्य एवं नगरपालिका गोटेगाँव के अध्यक्ष उपाध्यक्ष व अध्यक्ष आदि पद पर आसीन रहे। पदों पर रहे श्री मगनलाल शिक्षा के प्रति अपनी असीम रुचि के कारण गोइल, पुत्र-श्री चुन्नी आपने ठा) निरंजन सिंह महाविद्यालय में रु0 1500 लाल गोइल का जन्म की निधि अर्पित की थी जिसके ब्याज से डिग्री कोर्स 11-11-1927 को टीकमगढ़ के अंतिम वर्ष में प्रथम श्रेणी में उच्चतम अंक प्राप्त (म0प्र0) में हुआ। व्याकरण की मध्यमा और जैन करने वाले विद्यार्थी को स्वर्णपदक प्रदान किया जाता सिद्धांत शास्त्री जैसी महत्त्वपूर्ण परीक्षाएं आपने उत्तीर्ण है। आपने रु) 10,000 की निधि से एक ट्रस्ट की कीं।। स्थापना भी की थी जिसके ब्याज से उच्चतर माध्यमिक 1942 में आप टीकमगढ़ जिले की एक मात्र शाला के निर्धन एवं प्रतिभावान छात्रों को प्रतिवर्ष राजनैतिक संस्था 'स्टेट कांग्रेस' (ओरछा सेवा संघ) छात्रवृत्ति दी जाती है। आपका निधन 22-4-73 को के प्लेटफार्म से राजनैतिक गतिविधियों में संलग्न व हो गया। आपके पुत्र श्री भीकमचंद जी भी स्वतन्त्रता संघर्षरत हुए। राज्य शासन के विरुद्ध छात्र आन्दोलन सेनानी हैं। में भूमिगत रहे। बाद में राज्यशासन के कर विरोधी आ- (I) 40 प्र0 स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ-15। आंदोलन में भी आपको भूमिगत रहना पड़ा। अथक (2) जै0 सारा अ0 (3) पुत्र श्री भीकमचंद सिंघवी द्वारा प्रेषित षत प्रयत्न करने पर भी पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं परिचय For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy