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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 255 आपने महती भूमिका निभाई है। स्वयं आपके शब्दों श्री बाबूलाल मलैया गढ़ाकोटा, जिला-सागर (म0प्र0) निवासी श्री ___'गोम्मटगिरि तीर्थ की स्थापना मेरे जीवन की बाबूलाल मलैया, पुत्र- श्री दरबारीलाल ने 1932 के अद्भुत उपलब्धि है........ बावनगजा की विशाल मूर्ति स्वतंत्रता संग्राम में 5 माह का कारावास भोगा। का जीर्णोद्धार मेरे जीवन की प्रमुख उपलब्धियाँ मानता 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी आप नजरबंद हूँ' (वीर निकलक, मई 1995) रहे थे। आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-47 एक साथ, इतनी संस्थाओं का संचालन आप । 17 (2) आ0 दी0, पृष्ठ-64 कैसे कर लेते हैं यह पूछे जाने पर आपने एक साक्षात्कार में कहा है-- श्री बाबूलाल संघी ____ 'सही व्यक्ति का चुनाव, लक्ष्य के प्रति समर्पण गढ़ाकोटा, जिला-सागर (म0प्र0) निवासी और और दृढ़ आत्मविश्वास एवं आत्मिक बल मेरी सफलता जबलपुर प्रवासी श्री बाबूलाल संघी का जन्म प्रतिष्ठित के कारण हैं। खुली आंख और खुले कान नेतृत्व को को जैन परिवार में 1908 में हुआ। आपके पिता का नाम रखना चाहिए।' श्री मन्नूलाल था। 1930 और 1932 के आन्दोलन में आपने भाग लिया, फलत: गिरफ्तार हुए और सागर वाणी के जादूगर श्रद्धे य पाटोदी जी को जेल में 4 माह का कारावास आपने भोगा। 1985 के सम्मान और पुरस्कार देकर राष्ट्र / समाज ने आसपास आपका निधन हो गया। उनकी सेवाओं की सराहना की है। 26 जनवरी 1991 आ0- (1) म) प्र) स्व० सै0, भाग-1, पृष्ठ-79 (2) को भारत सरकार ने आपकी नि:स्वार्थ सेवाओं के लिए सिंघई रतनचंद जी द्वारा प्रेपित विवरण ( 3 ) स्व0 स) जा), पृष्ठ-143 'पद्मश्री' प्रदान की। 1993 में श्रवणबेलगोल में भगवान् गोम्मटेश्वर के महामस्तकाभिषेक महोत्सव के अवसर श्री बाबूलाल सिंघई आरी, जिला-होशंगाबाद (म0प्र0) के श्री सिंघई पर लाखों लोगों की उपस्थिति में 'समाजरत्न' की उपाधि बाबूलाल, पुत्र-श्री सुखलाल 1920 से रा० आ0 में से अलंकृत किया गया था। मई 1995 में पचहत्तर पचहतर कार्य करते रहे। 1941 में आप नजरबंद रहे। 1942 वर्ष पूर्ति प्रसंग-(अमृत महोत्सव) पर एक 'अन्तरंग में गांधी जी के आह्वान पर जब सारा देश 'करो या ग्रन्थ 'भेंट कर आपका सम्मान किया गया था। इस मरो' की भावना से आंदोलन कर रहा था, तब आप ग्रन्थ में जैन समाज के शीर्ष नेता साहू अशोक कुमार आन्दोलन में कूद पड़े और 18 दिन की जेल यात्रा जैन ने ठीक ही कहा है-'जब तक गोम्मटगिरि के शृंग की। रचनात्मक कार्यों में रुचि रखने वाले सिंघई जी उन्नत हैं और बाबनगजा के आदिनाथ की मनोहारी शुद्ध खादी के विक्रेता रहे हैं। छवि अंकित है, तब तक अमृत पुरुष पाटोदी जी की आ0- (1) म) प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-334 कीर्ति पताका फहराती रहेगी।' (2) स्व) स) हा0, पृष्ठ-114 आ)- (1) म0 प्र) स्व० से), भाग-4, पृष्ठ-31 (2) डॉ० बालचंद जैन जै!) स) ४) इ), पृ0-5010 (3) जैन संदेश, 18 अप्रैल 1991 (4) वीर निकलंक, मई 1995 (5) श्री बाबूलाल पाटोदी अन्तरंग राष्ट्रीय आंदोलन की स्मृतियों को अपने हृदय में ग्रन्थ 1995 (6) दैनिक भास्कर, इन्दौर, 15 अगस्त 1997 (7) आज भी संजोकर रखने वाले श्री बालचंद जैन का चौथा संसार, इन्दौर, 22 अगस्त 1997 जन्म 15 अक्टूबर 1919 को सागर (म0प्र0) में For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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