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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 232 स्वतंत्रता संग्राम में जैन जब मैं करेली, जिला-होशंगाबाद (अब, शासन को हमारी मागें मानने को बाध्य होना पड़ा। जिला-नरसिंहपर) में अपनी दकान सम्हाल रहा था. शासन ने माफी मांगने पर रिहाई का प्रस्ताव रखा शासन ने माम ला तब वहाँ के राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं से मेरा सम्पर्क हो पर मैंने मना कर दिया। मेरी माता जी के आश्वासन गया था। 14 अगस्त 1942 को चांवरपाठा की एक भरे पत्रों से मुझे उस अवस्था में बड़ा आत्मिक बल महिला सत्याग्रही ने बरेली में सत्याग्रह किया, उसे मिलता था। मैं 9 माह 10 दिन जेल में रहा। इस गिरफ्तार कर लिया गया तथा पुलिस के सिपाहियों, समय मेरे काका चौ० भैरों प्रसाद को पुलिस ने इतना जिनकी संख्या मश्किल से 10-12 थी. ने परी बस्ती परेशान किया कि उन्हें उक्त करेली की दुकान बन्द में मेन रोड पर मार्च पास्ट किया तथा बस्ती वालों पर कर सागर आ जाना पड़ा, परिवार की आर्थिक स्थिति आतंक जमाने के लिए दुकानदारों को गंदी-गंदी गालियां बड़ी दयनीय हो गई। दी, पर किसी ने भी उसका प्रतिवाद नहीं किया। मुझे जेल से मुक्त होने के बाद मैं राष्ट्रीय आन्दोलन यह बात अपमानजनक लगी। मैंने अन्य साथियों के में सक्रिय रहा, अपने राष्ट्रीय गीतों के द्वारा साथ मिलकर रात में सभा की, तय हुआ कि कल जन-जागरण करना मेरा प्रमख कार्य था।' स्कूल के छात्रों के साथ जूलूस निकाला जाये। रात आजादी के बाद 'मधुर' जी ने अनेक रचनात्मक में ही हमारी दुकान पर पोस्टर बने और रात में ही सुझाव अपने लेखों के माध्यम से सरकार के पास भेजे। पुलिस कोतवाली, सर्किल इंस्पेक्टर के निवास तथा बिक्रीकर के सन्दर्भ में आपका एक लेख 'अमृत बाजार बस्ती के प्रमुख 3-4 स्थानों पर चिपका दिये गये। पत्रिका' के हिन्दी संस्करण 'अमृत पत्रिका' इलाहाबाद प्रात: ही वहाँ के प्रमुख कार्यकर्ता श्री रामसिंह चौहान के 6 सितम्बर 1951 के अंक में छपा। आपने सुझाव 'बेधडक' को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया। दिया था कि 'टैक्स लगाना ही है तो उत्पादन शुल्क मैंने अपने क्रांतिकारी साथियों व विद्यार्थियों के के रूप में लगाया जाये । भोपाल के साथ जलस निकाला। पुलिस ने हमें तितर-बितर होने कर्तव्यदान '(साप्ताहिक) में पुन: यह लेखा की चेतावनी दी, किन्तु विद्यार्थियों ने पत्थरों की बौछार 23-10-57 को छपा। तत्कालीन म0प्र) कांग्रेस अध्यक्ष शुरू कर दी। लाठीचार्ज हुआ, मैं अपने तीन साथियों ने इस पर एक कमेटी बनाई और कपड़ा, केरोसीन के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। यह वाकया 15 आदि कुछ वस्तुओं पर बिक्रीकर हटाकर उत्पादन शुल्क अगस्त 1942 का है। पहले हमें होशंगाबाद व नरसिंहपर बढ़ाने का निर्णय लिया गया। की जेलों में रखा गया बाद में 72 बंदियों के साथ __ अपने एक अन्य लेख- 'चाचा नेहरू की जबलपुर जेल भेज दिया गया। जबलपुर जेल में रोटियों वसीयत और उनका स्मारक' में मधुर जी ने राष्ट्रीय में कंकड़ों व सब्जी में घास-पात की बहुतायात थी, सेवा का रचनात्मक सुझाव दिया था। इस पर तत्कालीन अतः सबके साथ भूख हड़ताल मैंने भी की, बैरकों शिक्षामंत्री श्री छागला का पत्र मधुर जी को मिला कि में जाने से इंकार कर दिया, परिणामस्वरूप शहर से 'आपके सुझाव नोट कर लिये गये हैं।' मधुर जी के डी0एस0पी0 के नेतृत्व में पुलिस दस्ते ने पहुंचकर अनुसार- 'उक्त सुझावों का कुछ समय परीक्षण कराने के उपरान्त उसे महाविद्यालयीन छात्रों में 'राष्ट्रीय सेवा लाठी चार्ज किया और सभी को बैरकों में बन्द कर । योजना' के रूप में लाग कर दिया गया।' इसी तरह दिया। पांच दिन तक भूख हड़ताल चली, अन्त में एक अन्य लेख- 'मुकदमाबाजी देहाती जनता को एक For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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