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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 222 स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्रा पुखराज उफ पुष्पन्द्रकुमार श्री पूनमचंद पटवा श्री पुखराज उर्फ पुष्पेन्द्रकुमार का जन्म बिलाड़ा, श्री पूनमचंद पन्नालाल पटवा का जन्म 15 जून जिला-जोधपुर (राज0) के ओसवाल जैन परिवार में 1888 ई0 को कुकडेश्वर, जिला-गरोठ (तत्कालीन असौज कृष्ण ।। संवत् 1969 (1912 ई0) में हुआ। होल्कर स्टेट, वर्तमान मध्यप्रदेश) में हुआ। पहले बिलाड़ा, आगरा एवं ब्यावर में आपकी शिक्षा हुई। आप छिपकर आन्दोलन में भाग लेते रहे। 1934 में 1930 के आन्दोलन से, जब आप विद्यार्थी थे, आपने खलकर कांग्रेस का काम करना शुरू कर राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय हुए। 1931 में पालीताना दिया व क्षेत्र में संगठन मजबूत करने लगे। रामपुरा और 1932 में मंगलदास मार्केट, बम्बई में विदेशी कपड़ों में प्रजामण्डल की स्थापना के बाद पटवा जी अधिक का बहिष्कार करने के कारण 7 मार्च 1932 को बम्बई सक्रिय हो गये। छआछत निवारण, बेगार प्रथा तथा में आप पकड़ लिए गये और 6 माह की सजा दी महाजनों के शोषण के विरुद्ध आपने अनेक बार गई। 1938 में बिलाड़ा में लोक परिषद् की स्थापना प्रदर्शन किये। पुलिस से इनकी अनेक झड़पें हुई। आपने ही की थी। 1942 में भी आप 4 माह 18 श्री सुन्दरलाल आजाद, इन्द्रमल भण्डारी, दिन जेल में रहे। रतनलाल सोनी तथा कन्हैयालाल महन्त आदि आपके आo-(1) रा) स्वा0 से0, पृष्ठ-720 साथी थे। 1940 से 1948 के बीच आप दो बार श्रीमती पुष्पादेवी कोटेचा जेल गये। एक बार कंजाड़ी में तथा दूसरी बार स्वतंत्रता आन्दोलन में ओसवाल जैन समाज की मनासा में। भारत छोड़ो आन्दोलन में पटवा जी ने पूरे प्रथम महिला सत्याग्रही होने का श्रेय श्रीमती पुष्पा देवी क्षेत्र में प्रदर्शन करवाये अतः इन्हें गिरफ्तार कर कोटेचा को प्राप्त है। आप ओसवाल श्रेष्ठि श्री रतनलाल लिया गया किन्तु मनासा की जेल में रखकर बाद में जी कोटेचा की धर्मपत्नी थीं। 1941 में सूरत के उन्हें छोड़ दिया गया। जन-सत्याग्रह में भाग लेने के फलस्वरूप आपको पटवा जी जीवनपर्यन्त पुलिस तथा सामंतों के गिरफ्तार कर लिया गया। आप पर आर्थिक जुर्माना अत्याचारों के विरुद्ध लडते रहे। 30 सितम्बर 1977 लगाया गया. परन्त -'आजादी के दीवानों ने जुर्माना को आपका स्वर्गवास हो गया। या जेल में से जेल को ही गले लगाया।' इस उक्ति आ0-- (1) स्व0 स0 म0, पृष्ठ 119 120 को आपने चरितार्थ किया और जुर्माना अदा नहीं किया ब्र० पूरणचंद लुहाड़िया बदले में जेल की कठोर यातनाएं सहीं। जयपुर (राजस्थान) के जैन दर्शन के प्रसिद्ध आ0-(1) इ0 अ0 ओ0, खण्ड-2, पृष्ठ-373 विद्वान् ब्रह्मचारी पूरणचन्द लुहाड़िया का जन्म 2 श्री पूनमचंद नाहर सितम्बर 1906 में हुआ। आपने बी0ए), एल0एल0बी0 जागीरदारी अत्याचारों के कट्टर विरोधी श्री करके वकालत में प्रसिद्धि प्राप्त की। लेकिन शिक्षा पूनमचंद नाहर का जन्म 10 जनवरी 1911 को छोटी प्राप्त करने में कितनी ही कठिनाईयों का सामना सादड़ी (राजस्थान) में हुआ। आपने 1938 और 1942 आपको करना पड़ा। देशसेवा का व्रत लेने के कारण के आन्दोलन में भाग लिया और 3 माह 6 दिन के कॉलेज से आपको निष्कासित कर दिया गया तथा कारावास की सजा भोगी। 22-2-1932 को अजमेर में सत्याग्रह करने के आ) (1) रा) स्व0 से), पृष्ठ-508 कारण 4 माह सख्त कैद की सजा दी गई। जब For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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