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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 218 स्वतंत्रता संग्राम में जैन शासन की ओर से मिलने वाली सम्मान निधि को शासन द्वारा सागर में नजरबन्द कर दिए गये। आपको लेने से इंकार कर दिया था। देवरी जाने अथवा देवरी से किसी भी तरह का . आ()- (1) म0 प्र0 स्व० सै0, भाग-5, पृष्ठ-312 सम्पर्क रखने के लिये रोक लगा दी गई थी। इसके (2) पुत्र निर्मल कुमार पाईया द्वारा प्रेषित परिचय एवं प्रशस्ति पत्र बाद आप कलकत्ता चले गए और वहाँ 'दूध बताशा' (3) स्वा) आ) श), पृ०-136 नामक बाल पत्रिका का सम्पादन किया, जिसमें श्री पन्नालाल बासल । अधिकतर राष्ट्रीय लेख एवं कवितायें ही छपती थीं। मंडी बामोरा, जिला सागर (म0प्र0) के प्रसिद्ध 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' लोकोक्ति समाज सुधारक श्री पन्नालाल बासल को 1942 के के अनुसार आप पुन: देवरी आ गये और स्वतंत्रता के आन्दोलन में भाग लेने के कारण छह माह का बाद नगर के विकास में सक्रिय योगदान दिया। आप कारावास दिया गया था। आप बामोरा कांग्रेस मण्डल कई वर्षों तक नगर पालिका के अवैतनिक मंत्री रहे के अधिपति व सागर जिला कांग्रेस कमेटी के और नगर विकास के लिए जीवन के अन्तिम क्षण सदस्य भी रहे। तक प्रयासरत रहे। 1। अक्टूबर 1972 को आपका आ)- (1) जै0 स0 रा0 अ0, पृष्ठ-53 निधन हो गया। आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग 2, पृष्ठ-38 श्री परमानन्द सिंघई (2) आ0 दी0, पृष्ठ-56, (3) श्री दुलीचंद जैन देवरी द्वारा प्रेषित देवरी कलां, जिला-सागर (म0प्र0) निवासी परिचय। श्री परमानन्द सिंघई, पुत्र-श्री मूलचन्द सिंघई का पं० परमेष्ठीदास जैन जन्म 1914 में हुआ। - जैन समाज के सुविख्यात विद्वान् प्रसिद्ध विद्यार्थी जीवन से ही समाज सुधारक, राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत, जैन आप में राष्ट्रीय भावनाएं पत्रकारिता को आधुनिकता पल्लवित हो गईं थीं। 31 का स्पर्श देने वाले पं) दिसम्बर 1933 में जब राष्ट्रपिता बापू देवरी पधारे परमेष्ठीदास जैन, पुत्र- श्री तब यहाँ के युवकों की मौजीलाल का जन्म 1907 में स्वागत करने वाली टोली का महरोनी, जिला- ललितपुर नेतृत्व श्री परमानन्द सिंघई ने किया था। बापू का (उ0 प्र0) में हुआ। आपके आशीर्वाद पाकर आप स्वतंत्रता आन्दोलन में कद पिता वैद्य थे। जब पं0 जी पड़े और जन-जागरण की दिशा में क्रियाशील हए। आठ वर्ष के थे तभी मौजीलाल जी ललितपुर आकर 1939-40 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान बस गये थे। आप जिला कांग्रेस कमेटी, सागर के मंत्रियों में से पं0 जी की प्रारम्भिक शिक्षा महरौनी में हुई। एक थे। बापू द्वारा स्वीकृत जिले के 56 व्यक्तिगत बाद में ललितपुर, साढूमल, मुरैना, जबलपुर और इंदौर सत्याग्रहियों की सूची में आपका नाम था। के जैन विद्यालयों में आपने शिक्षा प्राप्त की तथा 1942 के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के 'जैन सिद्धान्तशास्त्री' और 'न्यायतीर्थ' जैसी उपाधियां कारण लगभग 6 माह आप बन्दी रहे एवं 6-7 माह प्राप्त की। डॉ0 जयकुमार 'जलज' ने ठीक ही For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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