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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 215 सभाओं और जुलूसों का आयोजन करेंगे चाहे आप गृहस्थ अवस्था में रहते हुए भी आपकी रुचि छोड़ें या बंद करें।' सदा धार्मिक रही। जिनदर्शन, पूजा व स्वाध्याय आपका इसके बाद इन्हें सागर जिला जेल भेज दिया गया। नित्य-नियम था। खान-पान, आचार-विचार का परा 25-9-42 को तीनों को सजायें हो गई। श्री पदम कुमार ध्यान रखते थे। आपने आचार्य श्री सूर्यसागर जी महाराज को नौ माह की सजा हुई, जो आपने सागर तथा जबलपुर से उज्जैन मे दसवीं प्रतिमा एवं 1965 में श्री नेमसागर जेलों में काटी। जी महाराज से देवगढ़ में क्षुल्लक पद की दीक्षा ली। जेल से वापिस आने के बाद अनेक वर्षों तक आपका नाम 'पदमसागर' रखा गया। आप जिला कांग्रेस प्रबंध समिति के सदस्य एवं आपकी प्रकृति अत्यन्त शान्त व सरल थी। आपका निधन 1979 में कुर्रा चित्तरपुर में हुआ। कोषाध्यक्ष रहे साथ ही सागर ब्लाक कांग्रेस कमेटी के आO- (1) श्री दि0 जैन वरैया समाज इतिहास, पृष्ठ-4) अध्यक्ष भी रहे। आ)-- (1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-36 श्री पन्नालाल जैन (2) आ0 दी), पृष्ठ-11 (3) सा0 श्री पन्नालाल जैन, पुत्र-श्री खेमचन्द का जन्म 1917 में हुआ। आप ग्राम हल्दीबाड़ी, पोस्ट-चिरमिरी, श्री पदमचंद जैन जिला-सरगुजा (म0प्र0) के निवासी हैं। अपने समय बालाघाट (म0प्र0) के श्री पदमचंद जैन, के सक्रिय और कर्मठ कार्यकर्ता रहे श्री जैन को 1942 पुत्र श्री पन्नालाल का जन्म 1930 में हुआ। 1942 हुआ 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण के आन्दोलन में नारे लगाने के कारण आप पकड़े गये 1 9 माह के कठोर कारावास की सजा भोगनी पड़ी। पर अल्पवय होने के कारण हवालात में ही रखे गये। कारावास की अवधि में आप गुनहखाने में भी रखे 1944 के गोवा सत्याग्रह में भी आपने भाग लिया और गये थे। गिरफ्तार हुए। आO-(1) म0 प्र0 स्व0 सैo, भाग-3, पृ0-214 आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-1, पृष्ठ-182 श्री पन्नालाल जैन क्षुल्लक पदमसागर जी महाराज खादी और गांधी साहित्य के प्रचार-प्रसार को राष्ट्रसेवा और धर्मसेवा दोनों को ही अपना मिशन समर्पित श्री पन्नालाल जैन का जन्म 31 दिसम्बर 1900 बनाने वाले क्षुल्लक पदमसागर जी महाराज का दीक्षा ई0 को सनावद, जिला-पश्चिम निमाड़ (म0प्र0) में पूर्व नाम श्री पन्नालाल जैन था। आपका जन्म 1894 हुआ। आपके पिता का नाम श्री पद्मसा था। में ग्राम- गढीरामवल (कुर्राचित्तरपुर) जिला-आगरा बाल्यावस्था में घर के नौकर ने आपको प्रसिद्ध (उ0 प्र0) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री चुन्नीलाल क्रान्तिकारी श्री खशीराम बोस की फांसी की रोमांचक एवं बाबा का नाम श्री हीरालाल था। आपने कक्षा कहानी सुनाई। तभी से आपके मन में अंग्रेजों के प्रति 4 तक शिक्षा ग्रहण की और कपड़े एवं साहूकारी का विद्रोह की भावना पनपने लगी। 1918 में इन्दौर में पैतृक व्यापार करने लगे। आप कांग्रेस के सक्रिय सदस्य अ0भा0 हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अधिवेशन हुआ, बन गये और आंदोलनों में भाग लिया। बड़ौदा में जिसकी अध्यक्षता पज्य बाप ने की थी। आपने उसमें धारा 144 को आपने तोड़ा था। नूरीदरवाला (आगरा) स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया, आपने तिलक में 1942 में आपने जेल यात्रा की। स्वराज्य फण्ड में धन एकत्रित करने का भी काम For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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