SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 210 स्वतंत्रता संग्राम में जैन मोहनलाल का जन्म 13 गवाह बनाकर श्री खेमचंद ठेकेदार और श्री गुलाबचंद जुलाई 1913 को पिण्डरई, हलवाई को ढाई-ढाई साल की सजा दी।' जिला-मण्डला (म0प्र0) में आपने आगे लिखा है कि 'मण्डला सब जेल हुआ। आपके पूर्वज वहाँ के में प्रथम श्रेणी नजरबंद के लिए उचित व्यवस्था जमींदार थे। 1930 के नहीं होने के कारण मुझे केन्द्रीय जेल जबलपुर भेज व्यक्तिगत सत्याग्रह से आपने दिया गया। वहाँ मुझे सेठ गोविन्ददास, काका कालेलकर 1 राष्टीय आन्दोलनों में भाग आदि महापुरुषों का सत्संग मिला। मैं 13 माह वहाँ लेना प्रारम्भ कर दिया था। स्वतंत्रता संग्राम में रहा, इस अवधि में मुझे अनेक आघात सहने पड़े। मेरे पिण्डरई जैन समाज के योगदान को रेखांकित करते अनुज सुगमचंद की पत्नी प्रसव के चार घण्टे बाद ही हुए आपने अपने परिचय में लिखा है कि 'तात्कालिक चिकित्सा के अभाव में चल बसी, क्योंकि सुगमचंद लगभग तीन हजार की आबादी वाले पिण्डरई ग्राम भी भूमिगत था। नवजात शिशु का लालन-पालन से चौदह लोगों ने आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया. उसके नाना-नानी के यहाँ हुआ। जिनमें लगभग सभी जैन थे। झण्डा सत्याग्रह के मेरे एक मात्र पुत्र का स्वर्गवास हो गया, जिस समय सिंघई भवनचंद जैन के मकान में तिरंगा कारण से मेरी पत्नी विक्षिप्त सी हो गई। उसे देखने झण्डा फहराये जाने के अभियोग में उनकी बन्दूकें । ही उसके पिता (मेरे श्वसुर) डॉ0 भैयालाल जैन, (जो जमींदार होने के कारण सुरक्षार्थ उन्हें मिली - साहित्यरत्न, पी-एच0डी0 गाडरवारा से आये, उनका थीं) जब्त कर ली गई। विदेशी वस्त्र बहिष्कार के पिण्डरई में ही देहान्त हो गया। समय सेठ मुलायम चंद जैन, श्री पेमीलाल बजाज दिनांक 19-9-43 को मुझे जबलपुर जेल से एवं सिंघई भुवनचंद जैन के नाम गिरफ्तारी वारण्ट - जब छोड़ा गया तो जेल के फाटक पर ही एक आदेश निकले, बाद में वे न्यायालय से बरी कर दिये गये। पत्र मिला, जिसमें लिखा था कि "एक साल की अवधि तक जब भी आप पिण्डरई से बाहर जावें, 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में 16 अगस्त को यहाँ के सेठ केवलचंद जैन, श्री उत्तमचंद जैन, पुलिस को सूचना देकर जावें।" श्री चुन्नीलाल जैन, सिंघई शिखरचंद जैन, श्री आजादी के बाद सिंघई जी उपाध्यक्ष-जिला मुलायमचंद जैन हलवाई तथा मैं गिरफ्तार कर लिए काग्रेस के कांग्रेस कमेटी, चेयरमैन मण्डला लोकल बोर्ड, जनपद गये। मेरे अनुज सिंघई सुगमचंद का भी वारण्ट था। सदस्य, सरपंच-चेयमैन पिण्डरई न्याय पंचायत आदि हम सभी सशस्त्र पलिस बल के 20 जवानों के बीच पदों पर रहे। आपके परिवार में से अनेक लोगों ने में करके डिप्टी कलेक्टर श्री सरैया सा0 मण्डला के जेलयात्रायें कीं, जिनमें अनुज सिंघई संगमचंद एवं संरक्षण में स्टेशन तक ले जाये गये, वहाँ सगमचंद श्री शिखरचंद आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। को छोड दिया गया बाकी को मण्डला जेल भेज आ()-(1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग 1, पृष्ठ- 215 (2) दिया गया। इसी समय श्री छोटेलाल एवं श्री मिठूलाल __ जै0 स0 रा0 अ0 (3) स्व0 पा) जैन ने जबलपुर में गिरफ्तारी दी, उन्हें जेल की सजा श्री नेमीचंद जैन हो गई, इससे पिण्डरई के सत्याग्रही और भड़क उठे। पुलिस आफिस तथा ग्राम पंचायत के रिकार्ड श्री नेमीचंद जैन, पुत्र-श्री रतीराम जैन का जला दिये गये। इस काण्ड में शासन ने दो झठे जन्म 1921 में बिलहरी, तहसील-कटनी, जिला For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy