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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड 203 'जीवन-यात्रा' आदि पुस्तकें आज भी पाठकों को किया है। सही दिशाबोध करा रही हैं। अपने जीवन के अंतिम आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-4, पृष्ठ-141 समय में भी आप वर्णी जी के पत्रों पर आधारित श्री नाथूराम महत्त्वपूर्ण पुस्तक के सम्पादन एवं प्रकाशन के कार्य में संलग्न थे। श्री नाथूराम, पुत्र-श्री शान्तिराम जैन आमला जिला-बैतूल (म0 प्र0) निवासी रहे हैं, जिन्होंने विद्यार्थी जी ने डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, जीवन का कर्तव्य समझकर देश सेवा की और सागर से सन् 1965 में 'महापुराण के आधार पर 1942 के देशव्यापी आंदोलन में सक्रिय सहयोग ऋषभ तथा भरत के जीवन चरित्रों का अध्ययन' दिया, फलस्वरूप आपको दिनांक 19-8-42 से 4 विषय पर शोध-प्रबन्ध लिखकर पी-एच0डी0 की। ' माह तक के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। उपाधि प्राप्त की। आप रीवां एवं छतरपुर से आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-1610 प्रकाशित 'साप्ताहिक विंध्याचल' के अनेक वर्षों तक सम्पादक रहे थे। श्री नाथूराम पुजारी सामाजिक उत्थान के प्रति जागरूक विद्यार्थी जी बीना (म0प्र0) के 'पुजारी' उपनाम से प्रख्यात ने जीवन में अनेक उतार-चढाव देखे, लेकिन कभी श्री नाथूराम, पुत्र-श्री रामलाल 'आजाद सेवा-दल' के धैर्य नहीं खोया। जो भी दायित्व संभाला उसे परी निष्ठा. प्रमुख कार्यकर्ता थे। 1940 के आंदोलन में आपने जिम्मेदारी और कुशलता से निभाया। जैन समाज में सक्रिय भाग लिया और जेल गये। 1942 के आन्दोलन व्याप्त उपजाति-बन्धन और रूढिगत परम्पराओं को में आप 18-8-42 से 20-4-43 तक जेल में रहे। तोड़कर सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज को एकता के सूत्र आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-35 (2) जै) स0 रा) अ0 (3) आO दी0, पृष्ठ-28 (4) पा) जै0 50, पृष्ठ-528 में पिरोने की सार्थक पहल भी आपने की। इसी भावना (5) पं0 वंशीधार जी शास्त्री, बीना द्वारा प्रेषित परिचय से प्रेरित हो आपने गोलापूर्व होकर भी कट्टर परम्परावादी 'परवार जैन' परिवार में विवाह कर एक श्री नाथूलाल जैन अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया था। चार मई 1992 ___'राजस्थान लोक सेवा आयोग' के सदस्य रहे को आपका देहावसान हो गया। कोटा (राजस्थान) के श्री नाथूलाल जैन का जन्म 29 ____ आ.. ( 1 ) जै) स) रा() अ0 (2) विद्वत् अभिनन्दन ग्रन्थ, दिसम्बर 1919 को हुआ। एम0 ए0, एल0 एल0 बी0 (3) तीर्थकरवाणी, जून 1995. (4) वीरवाणी, जयपुर (5) विद्यार्थी तक शिक्षा प्राप्त श्री जैन ने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय जी के पुत्र श्री सुमति प्रकाश द्वारा प्रेषित सामग्री आन्दोलनों में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया था और 16 श्री नाथमल मेहता वर्ष की आयु में ही 1 अगस्त 1935 को तिलक दिवस ग्राम-उमरकोट, जिला-झाबुआ (म0प्र0) के पर कांग्रेस की सक्रिय सदस्यता ग्रहण की थी। 1938 श्री नाथमल मेहता, पत्र-श्री बच्छराज मेहता का जन्म में मगरोल में आयोजित प्रजा मण्डल के पहले अधि 1912 में हुआ। 1928 से 1947 तक के सभी वेशन में स्वयं-सेवकों के दलपति के रूप में आप आन्दोलनों में आपने भाग लिया। एक बार आप पकड़े सम्मिलित हुए थे। गये पर 2 दिन ही हिरासत में रखकर छोड़ दिया गया। अगस्त 1942 में कांग्रेस महासमिति की बैठक शासन ने प्रशस्ति पत्र प्रदान कर आपको सम्मानित में 'कोटा राज्य प्रजामण्डल' के प्रतिनिधि के रूप में For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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