SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 188 स्वतंत्रता संग्राम में जैन थे। तथा सीखने और सिखलाने की इच्छा बलबती थी। बीड़ा उठाया। आपने ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर कांग्रेस संगठित थे।' की नीतियों एवं सिद्धान्तों का प्रचार किया और स्वातंत्र्य जेल से आने के बाद आप राष्ट्र हित के कार्यों महायुद्ध हेतु अनेक स्वयंसेवकों को तैयार किया। में लगे रहे, विनोबा जी के भूदान आन्दोलन में भाग 1941 में बापू ने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने लिया और सर्वोदय संस्था से जुड़े रहे। आज भी देश हेतु छिन्दबाड़ा जिले के सत्याग्रहियों की जो सूची जारी के एवं समाज के लिए कुछ करने और मर मिटने की थी, उसमें दुलीचंद भाई मेहता भी एक थे। की लालसा है। आप अच्छे कवि भी हैं। आपके सन्दर्भ फलस्वरूप आपको 6 माह का कारावास दिया गया में -'बुंदेलखण्ड में स्थित देवरी (सागर) के । इस दौरान आप छिंदबाड़ा और नागपुर के बंदीगृहों साहित्यकारों का साहित्यानुशीलन' शोध प्रबन्ध में लिखा में रखे गए। 1942 में आपका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब गया है हो जाने के कारण आप भारत छोड़ो आंदोलन में भाग ____ 'देवरी के नवीन साहित्यसेवियों में श्री दलीचंद न ले सके। इसका आपको जीवनपर्यन्त खेद रहा। जैन "कौशल कविराय" का नाम उल्लेखनीय है।आप स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान आपका महात्मा गाँध अपनी व्यंग्य कविताओं व कण्डलियों के लिए प्रसिद्ध । और अहमदाबाद में लोहपुरुष सरदार बल्लभभाई हैं। आपकी रचनाओं में स्थानीयता की प्रवत्ति विशेष पटेल का प्रेरणास्पद सान्निध्य प्राप्त हुआ था। 20 अगस्त रूप से देखने को मिलती है। बुन्देली भाषा को आपने 1974 को आपका निधन हो गया । अपनी अभिव्यक्ति का प्रधान माध्यम बनाया है। खड़ी आO-(1) म) प्र) स्व) सै), भाग-1, पृष्ठ-9 (2) स्वाध बोली हिन्दी में भी आपने अनेक कविताएं लिखी हैं।' निता आन्दोलन में छिन्दवाड़ा जिले का योगदान, (टंकित शोध प्रबन्ध ___ आ0-(1) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-2, पृष्ठ-31 ) पृष्ठ-294-295 (2) आ) दी0, पृष्ठ-49 (3) 'बुन्लेदखण्ड में स्थित देवरी के श्री दुनीचंद जैन । साहित्यकारों का साहित्यानुशीलन (टकित शोधप्रबंध) पृष्ठ-569-70 (4) स्व) प0 जयपुर (राजस्थान) के श्री दूनीचंद जैन का जन्म संवत् 1961 (1904 ई0) में वर्तमान पाकिस्तान के श्री दुलीचंद भाई मेहता बहालपुर में हुआ। देश के बटवारे के बाद वे जयपुर श्री दुलीचंद भाई मेहता आत्मज श्री खेमचंद का आ गये। नशाबंदी और समाजोत्थान को समर्पित श्री जन्म 1890 में कच्छ (गुजरात) में हुआ। आपका जैन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया और अनेक संबंध एक सम्पन्न परिवार से था। 1903 में आपके बार अनेक दिन पुलिस की हिरासत में रहे! पिता व्यवसाय की खोज में पांदुरना (जिला-छिंदबाड़ा) आo-(1) रा0 स्व0 से0, पृष्ठ-611 म0प्र0 आ गये। गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होने श्री देवराज सिंघी के कारण आपका मन व्यापार में नहीं लगता था, अत: राजस्थान के क्रान्तिकारियों में श्री देवराज सिंघी विचार-विमर्श के पश्चात् आप राष्ट्रीय संघर्ष में सक्रिय का नाम बहुत ही आदर और सम्मान से लिया जाता हो गये। नागपुर जैसे उच्च राजनैतिक केन्द्र के अत्यन्त है। आपका जन्म 1922 में हुआ। बचपन से ही क्रांति निकट होने के बावजूद पांदुरना क्षेत्र के लोग राष्ट्रीय का विचार आपके मानस को आन्दोलित करने लगा। चेतना की दृष्टि से कुछ शिथिल ही थे, अत: आपने छात्र जीवन से ही आपने खादी के वस्त्र पहनना शुरू सर्वप्रथम इस क्षेत्र में राष्ट्रीय जागृति उत्पन्न करने का कर दिया था। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy