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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir INO - स्वतंत्रता संग्राम में जैन गईं, तब उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल में रखा गया। श्री दयाचंद जैन बाद में उन्हें कोर्ट उठने तक की सजा दी गयी। खण्डवा (म0प्र0) के श्री दयाचंद जैन, पुत्र-श्री आ) (1) म0 स(), पृष्ठ ब-52 दुलीचंद का जन्म फरवरी 1910 में हुआ। आप 1930 से ही राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय हो गये थे। श्री तिलकचन्द्र तिरपंखिया 1930 में 4 माह का तथा 1932 में 15 माह का पंजाब के प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी श्री तिलकचंद्र तिरपंखिया का जन्म 1900 ई0 में हुआ। __कारावास आपने भोगा। जेल में ही आप कैंसर आपके पिता का नाम लाला फग्गूमल था, जो धातु से पीड़ित हो गये थे। 1963 में आपका स्वर्गवास हो के बर्तनों के प्रसिद्ध व्यापारी थे। तिरपंखिया जी की गया। शिक्षा गुजरानवाला के मिशन हाईस्कूल में हुई। वहीं आO-(1) म) प्र0 स्व) सै0, भाग-4, पृष्ठ-103 से आपने क्रान्तिकारी विचारधारा लेकर जीवन में प्रवेश श्री दयाचंद जैन (बागड़ी) किया। महात्मा गांधी ने जब नमक सत्याग्रह छेड़ा तो श्री दयाचंद जैन, पुत्र-श्री जनूलाल जैन का जन्म आप उससे जुड़ गये एवं जेल यात्रा की। राष्ट्रीय आन्दोलन में पूरी तरह जुड़े होने के कारण आपको 22 जून 1923 को टीकमगढ़ (म0प्र0) में हुआ। आपकी आरम्भिक शिक्षा म0प्र0 में हुई। 17 वर्ष की अनेक बार कारावास भुगतना पड़ा। तिरपंखिया जी राजनैतिक, सामाजिक एवं अवस्था में आप बनारस के प्रसिद्ध श्री स्याद्वाद आध्यात्मिक विकास की सभी मुख्य धाराओं से जुड़े महाविद्यालय में अध्ययनार्थ गये। वहाँ दो वर्ष ही थे। आत्मानन्द जैन गुरुकुल के आप प्रारम्भ से अवैतनिक । अध्ययन कर पाये थे कि 1942 का भारत छोड़ो मंत्री रहे एवं उसे उन्नति के शिखर तक पहुँचाने का आन्दोलन शुरू हो गया और आप आन्दोलन में कद श्रेय भी आपको ही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पड़े। ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार हुए और धारा 38 के आप आजीवन सदस्य रहे। जिला कांग्रेस कमेटी D.I.R. तथा 39 D.IR में दो-दो वर्ष, कुल चार वर्ष के सचिव पद को भी आपने सुशोभित किया था। सजा हुई। आप बनारस जिला जेल और बनारस सेन्ट्रल देशसेवा के कार्यों में बेसुध जुट जाने के कारण आपका जेल में रहे। सी और बी दोनों क्लासों की जेलों में व्यापार और स्वास्थ्य दोनों ही चौपट हो गये। 1945 आपको रखा गया। एक वर्ष की सजा काटने पर ही में देश के स्वतंत्र होने के मात्र दो वर्ष पूर्व भारत का आपको छोड दिया गया, किन्तु बनारस जिले से आप यह स्वतंत्रता सेनानी सदा के लिए सो गया। निष्कासित कर दिये गये, यह निष्कासन देश की आ0-(1) इ0 अ0 ओ0, भाग-2, पृष्ठ-400 आजादी के बाद ही समाप्त हुआ। श्री थानमल जैन ___ आ) (1) म0प्र0 स्व) सै0, भाग-2, पृष्ठ-128 (2)स्व040 श्री थानमल जैन का जन्म 1926 में श्री लालचंद श्री दयालचंद जैन जी के यहां सीहौर (म0प्र0) में हुआ। कक्षा-3 तक आपने शिक्षा ग्रहण की। भोपाल विलीनीकरण आंदोलन 'शेरे सागर' के नाम से विख्यात श्री दयालचंद ( 48-49) में भाग लेने के कारण जाना एवं जैन का जन्म म0प्र) के सागर जिलान्तर्गत पारगवां 17..1-40 से 6-2-49 तक की सजा आपको भोगनी ग्राम में दिनांक 11 अक्टूबर 1924 को श्री किशोरी पड़ी। लाल एवं श्रीमती हीराबाई के यहाँ हुआ। आप जैन आ) (1) मर) प्र) स्व0 सै0, भाग-5, पृष्ठ-42 साहित्य के अग्रगण्य विद्वान् श्रीमान् पण्डित पन्नालाल For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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