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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 176 में पूज्य बापू के आह्वान पर आपने आन्दोलन में भाग लिया, उस समय आपकी उम्र मात्र 14 वर्ष थी, पर आजादी के दीवानों को उम्र का बन्धन बांध सका है क्या ? सागर में उस समय आजादी परवाने अपनी जान न्यौछावर करके भी भारत माँ को आजाद कराने का प्रण लिये बैठे थे, रोज जुलूस, लाठी चार्ज और गिरफ्तारियां, यही क्रम सागर में चल रहा था। इसी बीच कुछ सेनानियों, जिनमें श्री पदमकुमार सर्राफ व श्री गौरीशंकर पाठक प्रमुख थे, ने तय किया कि आंदोलन प्रतिदिन चलता रहे, इसलिए सभी एकदम गिरफ्तार न होकर रोज दो या चार व्यक्ति गिरफ्तार हों। लगभग 40 दिन तक यह क्रम चलता रहा। अनेक सेनानी गिरफ्तार हो चुके थे । आन्दोलन ठण्डा न होने पावे इसलिए तय किया गया कि शहर में लगभग 100 व्यक्तियों का जुलूस निकाला जावे व कटरा मोटर स्टैण्ड पर सभा की जाये। जुलूस की जिम्मेवारी श्री पदमकुमार को दी गई। ठीक 3 बजे लक्ष्मीपुरा में लक्ष्मीबाई के चौपड़ा से 100 व्यक्तियों का जुलूस निकाला गया, इनमें श्री बाबूलाल तिवारी, सिंघई सुरेशचंद जैन एवं श्री डालचंद जैन प्रमुख थे। लगभग डेढ घंटे बाद जुलूस कटरा मोटर स्टैण्ड पहुँचा, जहाँ मंच बनाकर सभा की गई, आध भाषण के दौरान पुलिस आ पहुँची, सर्वप्रथम श्री पदमकुमार सर्राफ को गिरफ्तार किया गया, उनके गिरफ्तार होते ही श्री बाबू लाल तिवारी ने भाषण देना प्रारम्भ किया, वे भी गिरफ्तार कर लिये गये, बाद में श्री सुरेश चंद जैन ने भाषण दिया, वे भी पकड़ लिये गये, बाद में श्री डालचंद जैन ने तिरंगा अपने हाथ में ले लिया अत: वे भी गिरफ्तार कर लिये गये। पुलिस ने लाठी चार्ज कर मैदान खाली करा लिया। गिरफ्तार सेनानियों को लेकर इंसपेक्टर अवस्थी जा रहे थे, रास्ते में उन्होंने डालचंद जी को म्युनिसपल Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन हाईस्कूल के पास उतार दिया, क्योंकि उनकी उम्र मात्र 14 वर्ष थी। इसके बाद तो डालचंद जी अनेक बार गिरफ्तार हुए व छोड़ दिये गये। कई बार आप डिटेन्शन में रखे गये। आजादी के आन्दोलन में इस प्रकार सक्रियता से भाग लेने के कारण स्कूल से उनका नाम काट दिया गया। 'सादा जीवन उच्च विचार' के पक्षधर श्री जैन ने विद्यार्थी जीवन में ही खादी पहनना शुरू किया था। वे 'भारत सेवक समाज' से भी जुड़े रहे और उसके सक्रिय कार्यकर्ता व पदाधिकारी रहे । सागर में उन दिनों आस-पास के क्षेत्रों से अनेक जैन सेनानी जेल में आते थे, उनके शुद्ध भोजनादि की व्यवस्था आप करते थे। 1942 के आन्दोलन के समय आपने अपने पूज्य पिता श्री के साथ जेल में बन्द सेनानियों को समय-समय पर वस्त्रादि भेंट किये थे एवं उनके आश्रित परिवारों को हर तरह की सहायता पहुँचाई थी। सामाजिक और राजनैतिक कार्यों से आप आजादी के बाद और अधिक जुड़ गये । सागर क्षेत्र के विकास का बहुत कछ श्रेय आपको भी जाता है। नवयुवकों में नई स्फूर्ति का संचार करने वाले श्री जैन 1963 में सागर नगर पालिका के अध्यक्ष, 1967 में बीना विधान सभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए । 1984 में दमोह - पन्ना संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस (इ) ने आपको अपना प्रत्याशी बनाया, आप प्रचण्ड बहुमत से संसद सदस्य चुने गये। इस चुनाव में आपने पन्ना रियासत के पूर्व महाराजा को परास्त किया था। आप विदेश मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं। भारत सरकार की डायरेक्ट टैक्स सलाहकार समिति एवं प्रशासकीय वित्त समिति के भी आप सदस्य मनोनीत किये गये थे। मध्य प्रदेश कांग्रेस (इ) कमेटी के आप अनेक वर्षों तक कोषाध्यक्ष रहे हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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