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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 170 ___ अपने अरसठवें वर्ष पर (1991 में) आपने बड़ी सुन्दर और बहुचर्चित कविता लिखी थी, जो यहां दी जा रही है। इनकी एक कविता 'सुकवि' के मई 1946 के अंक में छपी थी, उसके बगल में ही श्री लाल बहादुर शास्त्री की कविता भी छपी थी। अरसठवें वर्ष पर लो देख चुका अब तक अरसठ होली व दीपावली बसन्त ! शिशुपन में कुछ बालापन में कछ साक्षर होने में बीते है नाम भले ही ज्ञानचन्द पर रहे ज्ञान बिन ही रीते पड़गई 'करो या मरो' भनक गांधी बाबा का महामन्त्र लो देख चुका..............1 डिग्गी पीटी, चिल्लाये-गुंजाये जीभर नारे जयकारे स्वातन्त्र्य समर में जूझ रहे थे देश प्रेम के मतवारे ले दमन चक्र तब कूद पड़ा रियासत का पागल राज तंत्र लो देख चुका ...............2 तब लुटा-पिटा-बन्धन में रह निर्वासित होकर के भटका इस बीच अनेकों चिर वियोग के पड़े झेलने को झटका इस महायुद्ध की वेदी पर कितनों का असमय हआ अन्त लो देख चुका...............3 नेहरू ने लाल किले पर जब फहराई ध्वजा तिरंगी थी . स्वतंत्रता संग्राम में जैन तब पूछ दबाकर भाग गई भारत से सैन्य फिरंगी की वह अमिट हो गई जन-मन-गण पर इतिहासिक घटना ज्वलन्त लो दखे चुका......................... देखा है हमने गांधी को हमने देखे नेहरू-पटेल जिनके इङ्गित पर राजाओं के नाकों में डाली गई नकेल तब गूंज गया था दिग्-दिगन्त • भारत स्वतंत्र ! भारत स्वतंत्र ! लो देख चुका कुर्सी पाने अवसरवादी सत्पात्रों को पीछे धकेल निष्ठा-श्रद्धा को लिये जिये जिनका अभाव से रहा मेल छीना झपटी में सिद्धान्तों का हो जाये न दुखद अन्त लो देख चुका.................6 अब तन-तुरंग थक गाया किन्तु विद्रोही मन दौड़ा करता है अदृश रहकर सागर की लहरों जैसा उमड़ा करता है न जाने कब टूट जाय चंचल स्वासों का वाद्य यन्त्र लो देख चुका.....................7 आ0- (1) वि0 स्व0 स) इ0, पृ0-67 तथा 205, (2) स्व) प0, (3) अनेक प्रमाण पत्र आदि, (4) 'सुकवि' पत्रिका के प्रथम पृष्ठ का फोटोस्टेट श्री ज्ञानप्रकाश काला जयपुर राज्य प्रजामण्डल के उत्साही स्वयंसेवक श्री ज्ञानप्रकाश काला का जन्म 1921 के लगभग For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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