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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 156 . स्वतंत्रता संग्राम में जैन की बडी साख थी। चाँदमल जी बड़े निरभिमानी और का नाम श्री भागीरथ मेहता था। झाबुआ में आपने श्री विचारशील वकील थे। आप सदा सच्चे मुकदमे ही कन्हैया लाल वैद्य के साथ स्वतंत्रता के लिए काम लेते थे। आपके इस सिद्धांत से प्रभावित होकर जज किया, फलतः वहाँ का राजा नाराज हो गया और लायड़ साहब ने लिखित रूप में आपकी प्रशंसा की तरह-तरह के जुल्म ढाने लगा। उसके दमन से तंग थी। अक्सर आपको विवाद निपटाने हेतु कमिश्नर नियुक्त आकर आप रतलाम आ गये। आपकी शिक्षा मात्र मेट्रिक किया जाता था। ही थी, पर प्रत्येक विषय की गहन पकड़ आप में चोरड़िया जी गांधी जी के अनन्य भक्त थे, आप थी। 193! से आप पूर्णतः राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ जीवन पर्यन्त खद्दरधारी रहे। आगरा में कांग्रेस के पाँच गये, 1938 में रतलाम में उत्तरदायी शासन की मांग वर्ष तक प्रधान रहे। 1921 से आप गाँधी जी के के साथ राज्य प्रजामंडल की स्थापना की व इसके असहयोग आन्दोलन से जुड़ गये, फलतः अनेक बार प्रथम महामंत्री हुए। कुछ कम्युनिस्ट साथियों के साथ जेल गए। एक बार बीच बाजार में गोरा (अंग्रेज) शासक मजदुर किसान आन्दोलन में भी आपने भाग लिया। एक व्यक्ति को कोड़े मार रहा था- आपसे रहा नहीं 1940 में 'रतलाम राज्य षडयंत्र केस' में आप गिरफ्तार गया और उस एवज में खद कोडों के शिकार ह। कर लिये गये। राजद्रोह षडयंत्र आदि अनेक धाराओं भरी- पूरी वकालत को लात मारकर स्वतंत्रता आन्दोलन के अन्तर्गत मुकदमा चला। वैरिस्टर मीनू मसानी आपके को समर्पित हो जाना उनकी देशभक्ति एवं गांधी जी बचाव पक्ष के वकील थे। कोर्ट द्वारा आपको 10 वर्ष के प्रति गहरी आस्था का परिचायक है। सामाजिक (या 7 वर्ष) की सजा मिली। पूज्य गांधी जी के कहने सुधारों के प्रति भी आप सदा जागरूक रहते थे। पर श्री के) एम) मुंशी ने हाईकोर्ट में पैरवी की, फलत: ओसवाल महासम्मेलन के मुखपत्र 'ओसवाल सुधारक' सजा घटाकर 3 वर्ष कर दी गई। 1942 में आपकी का आगरा से सफल सम्पादन आपने किया था। 1938 अन्य राज्यबन्दियों के साथ रिहाई हुई। 1978-79 में में आपका देहावासन हो गया। आपका स्वर्गवास हो गया। आ)- (1) इ) आ0 ओ0, भाग-2, पृष्ठ 399-400, (2) आ0- (1) म.प्र) स्व) सै), भाग--4, पृष्ठ-192, (2) जै) स) रा) अ), (3) उ0 प्र0 जै0 ध0, पृष्ठ-89, (4) गो0 अ0 रतलाम के वरिष्ठ स्व0 सं) सै) श्री दलीचंद जैन द्वारा प्रेपित परिचय। ग्रा), पृष्ठ 220 श्री चितरंजन कुमार श्री चाँदमल जैन संगीतकला प्रेमी मध्य प्रदेश (मालवा-प्रान्त) झाबुआ (म0प्र0) के श्री चाँदमल जैन, पुत्र--श्री के श्री चितरंजन कमार 1942 में विद्यार्थी अवस्था में रतनचंद का जन्म 1909 में हुआ। आपने 1930 से ही गिरफ्तार कर लिये गये थे। निर्माण पथ में 1947 तक के सभी आन्दोलनों में सक्रिय भाग चिरन्तन रत रहने वाले श्री कुमार काफी समय तक लिया। आजादी के बाद शासन ने प्रशस्ति पत्र प्रदान राष्ट्रीय सेवक दल के प्राणवान सदस्य रहे। आपने कर आपको सम्मानित किया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम0 ए0 किया था। आ0- (1) म0 प्र0 स्व0 सै), भाग-4, पृ0 140 आ0-(1) जै0 स0 रा) अ), पृ0-75 श्री चाँदमल मेहता श्री चिन्तामन जैन श्री चाँदमल मेहता का जन्म 23 फरवरी 1904 श्री चिन्तामन जैन, पत्र-श्री दशरथ लाल जैन को सारंगी (झाबुआ) म0प्र0 में हुआ। आपके पिता का जन्म दमोह (म0प्र0) जिले के पटेरा के निकट For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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